बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) को लेकर महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे पर चल रही खींचतान अब थमती दिख रही है। लंबे समय से विवाद का केंद्र बने मुकेश सहनी और उनकी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को लेकर जो पेंच फंसा था, वह आखिरकार सुलझ गया है। सूत्रों की मानें तो महागठबंधन ने सहमति जताई है कि VIP को कुल 15 सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा। यह समझौता महागठबंधन की एकता को बनाए रखने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, मुकेश सहनी शुक्रवार को दरभंगा की गौराबौराम विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल करेंगे। यह वही सीट है जिस पर पहले से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था। अब खबर है कि RJD अपना सिंबल वहां से वापस ले सकती है ताकि VIP के लिए रास्ता साफ हो सके। यह कदम सिर्फ सीट शेयरिंग नहीं बल्कि सामाजिक समीकरणों को साधने की एक रणनीतिक चाल भी है, क्योंकि गौराबौराम क्षेत्र में निषाद और पिछड़ा वर्ग का वोटबैंक निर्णायक भूमिका निभाता है।
इसी बीच यह भी जानकारी सामने आई है कि महागठबंधन ने मुकेश सहनी को एक विधान परिषद (MLC) सीट का भी आश्वासन दिया है। यह संकेत देता है कि VIP को न सिर्फ चुनावी गठबंधन में, बल्कि संभावित सत्ता-साझेदारी में भी उचित सम्मान दिया जा रहा है। अगर महागठबंधन को सरकार बनाने का मौका मिलता है, तो उप-मुख्यमंत्री पद पर भी चर्चा खुली रखी जा सकती है।
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गुरुवार को मुकेश सहनी की प्रेस कॉन्फ्रेंस दिनभर चर्चा में रही। पहले इसे दोपहर 12 बजे तय किया गया, फिर 4 बजे, उसके बाद 6 बजे—but अंततः प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हो सकी। इस बार-बार की देरी से सियासी गलियारों में कयासों का दौर तेज हो गया। अब माना जा रहा है कि शुक्रवार को नामांकन के साथ ही सहनी अपने रुख को साफ करेंगे।
इससे पहले, मुकेश सहनी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने सीट बंटवारे में हस्तक्षेप करने की अपील की थी। अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि वे INDIA गठबंधन की विचारधारा के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और उनके लिए सीटें नहीं, बल्कि विचार और सम्मान मायने रखते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि पहले वे 35 सीटों की मांग कर रहे थे, जिसे घटाकर 18+2 तक लाए, इसलिए यह कहना कि VIP सीट वार्ता में शामिल नहीं है, सरासर गलत है। यह बयान बताता है कि सहनी अब भी गठबंधन के साथ बने रहने की कोशिश में हैं और खुद को “बिहार के दलित-पिछड़ा प्रतिनिधि” के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं।
दरअसल, बिहार की सियासत में मुकेश सहनी की भूमिका हर चुनाव में निर्णायक रही है। 2020 में NDA के साथ मिलकर उन्होंने VIP को प्रमुख पहचान दी थी, लेकिन अब उनका रुख पूरी तरह से महागठबंधन के पक्ष में झुक चुका है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, RJD और कांग्रेस यह समझ चुके हैं कि सहनी को साथ रखना सामाजिक समीकरणों के लिहाज से अनिवार्य है। इसलिए सीट समझौते का यह नया फॉर्मूला महागठबंधन की मजबूती की दिशा में गेम चेंजर साबित हो सकता है।






















