बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) का पहला चरण राजनीतिक तापमान बढ़ा चुका है। 121 सीटों पर नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन महागठबंधन (Mahagathbandhan) के भीतर सीट बंटवारे की गुत्थी अब तक नहीं सुलझी है। यही वजह है कि पहले चरण की कई सीटों पर महागठबंधन के ही घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर आए हैं। इस स्थिति ने न केवल गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि ‘फ्रेंडली फाइट’ के नाम पर भीतरखाने की नाराज़गी भी उजागर कर दी है।
अब तक केवल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अपने सीट बंटवारे का फार्मूला साफ किया है। वहीं, महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, वामदल (Left Parties) और वीआईपी (Vikassheel Insaan Party) ने अपनी-अपनी सूची जारी कर दी है, लेकिन साझा समझौते के अभाव में आठ सीटों पर अपने ही साथी दलों को चुनौती दे रहे हैं। पहले चरण में राजद ने 72, कांग्रेस ने 26, वामदलों ने 21 और वीआईपी ने 6 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं।
सबसे दिलचस्प स्थिति उन आठ सीटों पर बनी है, जहां महागठबंधन के भीतर ‘दोस्ताना टकराव’ की स्थिति स्पष्ट है। इनमें वैशाली, लालगंज, राजापाकड़, बछवाड़ा, रोसड़ा, बिहारशरीफ, तारापुर और कहलगांव जैसी अहम विधानसभा सीटें शामिल हैं।
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कहलगांव सीट पर राजद के रजनीश यादव और कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा आमने-सामने हैं। यह सीट दोनों दलों के बीच तनाव की नई वजह बन गई है। वहीं, तारापुर में राजद के अरुण शाह और वीआईपी के सकलदेव सिंह ने नामांकन किया है, जिससे यह सीट भी महागठबंधन के अंदरूनी संघर्ष का केंद्र बन गई है।
बछवाड़ा, बिहारशरीफ और रोसड़ा सीटों पर कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के उम्मीदवार एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। बछवाड़ा से कांग्रेस के प्रकाश दास और सीपीआई के अवधेश कुमार राय, बिहारशरीफ से कांग्रेस के उमैर खान और सीपीआई के शिव प्रसाद यादव, वहीं रोसड़ा से कांग्रेस के बीके रवि और सीपीआई के लक्ष्मण पासवान आमने-सामने हैं।
राजापाकड़ सीट पर कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी और सीपीआई के मोहित पासवान के बीच मुकाबला होगा, जबकि वैशाली सीट पर राजद के अजय कुशवाहा और कांग्रेस के ई. संजीव सिंह आमने-सामने हैं।
लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में है लालगंज विधानसभा सीट, जहां राजद ने बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को टिकट दिया है। उनके सामने कांग्रेस ने आदित्य कुमार राजा को मैदान में उतारा है। यह सीट महागठबंधन के भीतर शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक बन गई है।






















