लोकसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच कांग्रेस पार्टी के अंदर बगावत (Bihar Congress Crisis) की चिंगारी भड़क उठी है। पटना में शनिवार को पार्टी के चार पूर्व विधायकों और एक दर्जन से अधिक वरिष्ठ नेताओं ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए। टिकट वितरण में “धनबल और पक्षपात” के आरोपों ने कांग्रेस की स्थिति को बेहद असहज बना दिया है। यह बगावत ऐसे समय पर सामने आई है जब पार्टी बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस प्रवक्ता आनंद माधव ने सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी प्रभारी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे में पारदर्शिता नहीं बरती गई और “कुछ नेताओं ने पैसों के दम पर टिकट बांट दिए”। आनंद माधव ने कहा — “पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है। कांग्रेस विचारधारा की पार्टी है, इसे धनबल की मंडी न बनाया जाए।”
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद पूर्व विधायकों ने भी साफ इशारा दिया कि अगर टिकट वितरण पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो वे स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं। अंदरूनी असंतोष अब खुलकर सड़कों पर दिखने लगा है।

बिहार कांग्रेस में यह “टिकट बगावत” तब फूटी है जब पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी हाल ही में अपने “वोट चोर, गद्दी छोड़” नारे के साथ चुनावी अभियान में जुटे हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि राज्य इकाई के नाराज़ नेताओं ने इसी नारे को बदलकर “टिकट चोर, गद्दी छोड़” कर दिया है। यह नारा अब बिहार कांग्रेस की आंतरिक राजनीति का प्रतीक बन चुका है, जो संगठन के भीतर गहराते अविश्वास को दर्शाता है।






















