Saran News जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष कुमार वर्मा ने रविवार को बिहार के सारण जिले में एकदिवसीय दौरे के दौरान पार्टी की चुनावी तैयारियों को मजबूत करने पर खास फोकस किया। पूर्व आईएएस अधिकारी वर्मा, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सलाहकार भी रह चुके हैं, ने परसा विधानसभा क्षेत्र के खानपुर और बभनगांवा गांवों में पहुंचकर स्थानीय पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ विस्तृत बैठकें कीं।
इस दौरान वर्मा ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव-2025 की रणनीति पर गहन चर्चा की। उन्होंने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि पार्टी की नीतियों, विकास योजनाओं और सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए घर-घर जाकर अभियान चलाया जाए। “हमारी सरकार ने बिहार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। अब विधानसभा चुनाव में हमारी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर बूथ पर मजबूत संगठन खड़ा करना होगा,” वर्मा ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा।
बैठक में स्थानीय मुद्दों जैसे सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सेवाओं और किसान कल्याण योजनाओं पर भी बात हुई। वर्मा ने समता पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल करने और उनका सम्मान करने पर जोर दिया, जो नीतीश कुमार द्वारा उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारी का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि जेडीयू अब सत्ता से दूर रहने वाले दौर के उन सिपाहियों को फिर से जोड़ रही है, जो बदलाव के लिए निस्वार्थ भाव से लड़े थे। उन्होंने कहा कि जिन्होंने 2005 से पहले का बिहार देखा है, वे जानते हैं कि उस समय राज्य की स्थिति कितनी भयावह थी। तब सड़कों पर चलना असुरक्षित था, चौक-चौराहों पर लूटपाट आम बात थी। उस समय के मुख्यमंत्री ने हर जिले को टुकड़ों में बांटकर बाहुबलियों को सौंप दिया था। डीएम और एसपी तक उन्हीं को रिपोर्ट करते थे। पटना में अपहरण होने पर मुख्यमंत्री आवास से तय होता था कि फिरौती में कितना पैसा देना है। यह बहुत शर्म की बात थी कि जिसके हाथ में जनता की सुरक्षा थी, वही अपराधियों का सरगना बना हुआ था। उस समय बिहार के लोग जब बाहर जाते थे, तो उन्हें अपने राज्य का नाम बताने में शर्म महसूस होती थी।
मनीष वर्मा ने विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए कहा, कुछ लोग जिन्हें साल भर भी सत्ता नहीं मिली, वे अपना घर भरने में लग जाते हैं। आज जो हमारे खिलाफ ताल ठोक रहे हैं, उनके परिवार के कारनामे बिहार की जनता नहीं भूली है। जब उनके पिता रेलवे में चपरासी की नौकरी देते थे, तो बदले में लोगों से जमीन लिखवा लेते थे। उन्होंने बिहार को लूटकर रख दिया था।






















