बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, सूबे की राजनीति गरमाने लगी है। एक ओर विपक्ष सरकार पर रोजगार और विकास के मुद्दों पर हमलावर है, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अपनी 20 साल की उपलब्धियों और “सुशासन के मॉडल” को जनता के सामने रख रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर उन्होंने एक लंबा पोस्ट लिखकर 2005 से पहले के बिहार की स्थिति और अपनी सरकार के बाद हुए बदलावों की तुलना की।
नीतीश कुमार ने अपने पोस्ट में लिखा कि 2005 से पहले बिहार “अराजकता, अपराध और भ्रष्टाचार” का प्रतीक बन गया था। उन्होंने कहा कि उस दौर में शाम छह बजे के बाद लोग घर से बाहर निकलने से डरते थे। अपहरण उद्योग का रूप ले चुका था, डॉक्टर-इंजीनियर राज्य छोड़ रहे थे और लोग अपनी नई गाड़ियां या मकान दिखाने में भी खौफ खाते थे। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 2005 में जब उनकी सरकार बनी, तो सबसे पहले कानून-व्यवस्था को प्राथमिकता दी गई और “कानून का राज” स्थापित किया गया।
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उन्होंने कहा कि आज राज्य में भय और आतंक नहीं, बल्कि प्रेम, भाईचारे और शांति का वातावरण है। नीतीश ने पुलिस बल के आधुनिकीकरण और उसकी मजबूती के उदाहरण पेश किए। उन्होंने बताया कि 2005 में जहां बिहार में केवल 817 थाने थे, वहीं अब उनकी संख्या बढ़कर 1380 से ज्यादा हो चुकी है। पुलिस को आधुनिक हथियार, वाहन और मजबूत भवन उपलब्ध कराए गए। पुलिस बल की संख्या 2005 में 42,481 थी, जो आज बढ़कर 1.25 लाख से अधिक हो चुकी है। साथ ही 2.29 लाख पदों के सृजन और नई नियुक्तियों की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है।
नीतीश कुमार ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए 2013 से पुलिस में 35 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया, जिसके कारण आज बिहार पुलिस में महिला कर्मियों की भागीदारी देश में सबसे अधिक है। ‘आदिवासी महिला स्वाभिमान बटालियन’ जैसी पहलें महिलाओं के आत्मविश्वास और स्वावलंबन का प्रतीक हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अपराध की जांच और निपटान के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई और थानों में अनुसंधान कार्य को प्रशासनिक कामकाज से अलग किया गया, जिससे अपराध नियंत्रण की दक्षता बढ़ी।
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि बिहार 2005 से पहले “डर और अपमान” का प्रतीक था, लेकिन अब “विकास और सम्मान” की पहचान बन चुका है। उन्होंने कहा, “आज बिहार में न्याय के साथ विकास हो रहा है। बहन-बेटियों को सुरक्षा मिली है, युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, उद्योग और व्यापार बढ़े हैं। अब बिहारी कहलाना अपमान नहीं, गर्व की बात है।”






















