बिहार की सियासत में जैसे-जैसे चुनाव 2025 की आहट तेज हो रही है, वैसे-वैसे बयानबाज़ी भी तीखी होती जा रही है। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह (Lalan Singh) ने आज विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस और महागठबंधन पर आरोप लगाया कि वे अब “संविधान” को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि असल में वही संविधान की भावना के खिलाफ बोल रहे हैं।
ललन सिंह ने SIR (Special Integrated Register) के दूसरे चरण को लेकर कांग्रेस पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि, “चुनाव आयोग वोट चोरी नहीं कर रहा, बल्कि आप (कांग्रेस) वोट की चोरी करना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम कर रहा है। वही कांग्रेस नेता जो कुछ समय पहले संविधान की प्रति लेकर घूमते थे, अब उसी संविधान के विपरीत बयान दे रहे हैं।
उन्होंने कांग्रेस और RJD पर आरोप लगाया कि वे घुसपैठियों के वोट बैंक को बचाने की कोशिश में लगे हैं। ललन सिंह ने कहा, “संविधान में साफ लिखा है कि केवल भारत का नागरिक ही मतदाता हो सकता है। अब आप कह रहे हैं कि जो इस देश का नागरिक नहीं है, उसे भी वोटर बना दिया जाए — तो वोट चोरी कौन कर रहा है? आप या चुनाव आयोग?”
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केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे नेता अब अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं, क्योंकि वे जनता से जुड़ी वास्तविक समस्याओं की बजाय केवल आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव सिर्फ सस्ती पब्लिसिटी और चुनावी शोशेबाज़ी के लिए घोषणाएं कर रहे हैं, जबकि बिहार की जनता विकास और स्थिरता चाहती है।
वहीं, महागठबंधन द्वारा बिहार चुनाव 2025 का घोषणापत्र (Manifesto) जारी किए जाने पर भी ललन सिंह ने कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता महागठबंधन को सत्ता में आने का मौका नहीं देगी, इसलिए वे कुछ भी वादे कर लें, उससे फर्क नहीं पड़ेगा। ललन सिंह बोले, “जो व्यक्ति बिहार के विकास मॉडल, राज्य के संसाधनों और जरूरतों को नहीं समझता, वह घोषणापत्र में क्या अनाउंस करेगा?”
ललन सिंह ने तेजस्वी यादव को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि वे बिहार की स्थिति को समझ ही नहीं पा रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि जब उनके माता-पिता 1990 से 2005 तक सत्ता में थे, तब राज्य का सालाना बजट मात्र 26,000 करोड़ रुपये था। उस दौर में बिहार में बिजली, सड़क और कानून-व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाएं बदहाल थीं। उन्होंने कहा, “उस समय अपहरण उद्योग चलता था, लोग भय में जीते थे, और अब बिहार का बजट बढ़कर 3,17,000 करोड़ रुपये हो गया है। यह बताता है कि राज्य ने 20 सालों में कितनी प्रगति की है।”






















