बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नई हलचल दिखाई दे रही है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर जनसुराज आंदोलन के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर भाजपा की तरफ से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह चुप्पी अब पार्टी के भीतर ही सवालों का कारण बन गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह ने सीधे तौर पर प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठाया है और कहा है कि सम्राट चौधरी की चुप्पी जनता के बीच गलत संदेश भेज रही है।
आर.के. सिंह ने अपने बयान में कहा, “अगर सम्राट चौधरी ने जनसुराज के आरोपों पर जवाब नहीं दिया तो जनता यह मान लेगी कि प्रशांत किशोर के आरोपों में कहीं न कहीं सच्चाई है। पार्टी को इस मामले में तुरंत स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।” उन्होंने यहां तक कहा कि प्रदेश नेतृत्व को सम्राट चौधरी को नोटिस जारी कर जवाब देने का निर्देश देना चाहिए, क्योंकि यह मामला भाजपा की विश्वसनीयता और छवि से जुड़ा हुआ है।
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आर.के. सिंह का यह बयान ऐसे समय आया है जब भाजपा नेतृत्व ने इस पूरे विवाद पर अब तक चुप्पी साध रखी है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा में यह असंतोष इस बात का संकेत है कि पार्टी के भीतर भी सम्राट चौधरी की कार्यशैली और जनसंपर्क को लेकर असहजता बढ़ रही है। अगर पार्टी ने जल्द कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया तो विपक्ष इस “चुप्पी” को अपने लिए बड़ा हथियार बना सकता है।
इसी के साथ, आर.के. सिंह ने राजद नेता तेजस्वी यादव के चुनावी घोषणा पत्र पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि तेजस्वी का “हर घर नौकरी” देने का वादा पूरी तरह अव्यावहारिक है। “तेजस्वी बताएँगे कि वेतन देने के लिए पैसा कहाँ से आएगा? बिहार की वित्तीय स्थिति पहले से ही कमजोर है, ऐसे में कर्ज लेकर नौकरी देने का वादा करना आने वाली पीढ़ियों पर बोझ डालने जैसा है।”
आर.के. सिंह ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव का “पलायन रोकने” का दावा भी खोखला है क्योंकि उन्होंने कोई ठोस योजना नहीं बताई है। न यह बताया गया कि राज्य में उद्योग कैसे लगेंगे, और न ही यह कि रोजगार कहाँ से आएगा। सिंह के मुताबिक, “यह सब जनता को लुभाने वाले वादे हैं, जिनका धरातल पर कोई ठोस आधार नहीं है।”






















