तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव और डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक बनर्जी ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन – एसआईआर) की घोषणा को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और निर्वाचन आयोग (ईसीआई) पर जमकर हमला बोला। उन्होंने इस प्रक्रिया को ‘साइलेंट इनविजिबल रिगिंग’ (SIR) करार देते हुए आरोप लगाया कि यह वास्तविक मतदाताओं को सूची से हटाने और 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी को लाभ पहुंचाने की साजिश है।
एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए बनर्जी ने कहा, “पहले मतदाता सरकार चुनते थे, अब सरकार मतदाता चुन रही है। यह एसआईआर समावेश (इनक्लूजन) का नहीं, बल्कि बहिष्कार (एक्सक्लूजन) का उपकरण है। बीजेपी की सहयोगी संस्था ईसीआई ने यह घोषणा की है, जो बैकडोर एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) जैसी है।” उन्होंने सवाल उठाया कि लोकसभा चुनावों के महज 18 महीने बाद ही मतदाता सूची में ‘अनियमितताएं’ क्यों पाई गईं? अगर सूची में खामियां थीं, तो प्रधानमंत्री, कैबिनेट और लोकसभा को भंग कर नई चुनाव कराने चाहिए।
बनर्जी ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर एक भी पात्र मतदाता का नाम सूची से हटाया गया, तो बंगाल से एक लाख लोग दिल्ली जाकर ईसीआई कार्यालय के बाहर धरना देंगे। हम बीजेपी को चुनौती देते हैं – एसआईआर के बावजूद हमारी सीटें बढ़ेंगी, जबकि उनकी 50 से नीचे चली जाएंगी।” उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह को उत्तर 24 परगना में एक व्यक्ति की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ एफआईआर की मांग की, जो कथित तौर पर एनआरसी-एसआईआर के डर से हुई। बीजेपी ने बनर्जी के बयानों को खारिज करते हुए एसआईआर को ‘लोकतंत्र की मजबूती’ बताया। पूर्व राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, “यह प्रक्रिया निष्पक्ष है, जो घुसपैठियों को हटाएगी। टीएमसी वोट बैंक बचाने के लिए घबरा रही है।” केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इसे ‘आवश्यक कदम’ करार दिया।






















