Anant Singh FIR: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मोकामा एक बार फिर सियासी हिंसा के साए में है। गुरुवार को आरजेडी नेता और जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव (76) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड ने पूरे राज्य की राजनीति को हिला दिया है। सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब भदौर थाना में जनसुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी उर्फ लल्लू मुखिया के समर्थक रहे दुलारचंद के पोते के बयान पर बाहुबली विधायक अनंत सिंह, उनके दो भतीजों रणवीर सिंह और कर्मवीर सिंह, के अलावा छोटन सिंह और कंजय सिंह समेत दर्जनों अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया।
यह घटना बसावन चक के पास मोकामा में हुई, जब दुलारचंद यादव जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के प्रचार काफिले में शामिल थे। प्रचार के दौरान ही कथित तौर पर दूसरे गुट के समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया। देखते-देखते विवाद हिंसा में बदल गया और गोलीबारी शुरू हो गई। इस दौरान दुलारचंद यादव को गोली लगी और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। ग्रामीणों के मुताबिक, गोलीबारी में पीयूष प्रियदर्शी की गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गई।
इस पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें दो गुटों के बीच फायरिंग की आवाजें साफ सुनी जा सकती हैं। चुनाव से ठीक पहले इस तरह की राजनीतिक हत्या ने राज्य प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दुलारचंद यादव, जो कभी लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी माने जाते थे, पिछले कुछ महीनों से जनसुराज पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता बन चुके थे। वे लगातार मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर हमला बोल रहे थे। यहां तक कि हत्या से महज दो दिन पहले उन्होंने एक सभा में अनंत सिंह की पत्नी के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी। माना जा रहा है कि इसी बयान के बाद दोनों गुटों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था।
हत्या के आरोप लगने के बाद अनंत सिंह ने अपने बचाव में बड़ा बयान देते हुए कहा कि “यह पूरी साजिश सूरजभान सिंह की है, जिन्होंने मुझे चुनाव से पहले फंसाने की चाल चली है।” वहीं, सूरजभान सिंह और उनकी पत्नी वीणा देवी, जो इस बार मोकामा से राजद की प्रत्याशी हैं, ने इस मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से साफ इनकार किया है। वीणा देवी ने कहा कि “हमारा इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। विरोधी सिर्फ हमारे नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं।”
दुलारचंद यादव की हत्या के बाद मोकामा में तनाव फैला हुआ है। भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, राजनीतिक गलियारों में यह सवाल गूंज रहा है कि क्या बिहार की राजनीति अब भी बाहुबल और खून-खराबे के बिना नहीं चल सकती।






















