NDA के घोषणा पत्र (Rohini Acharya on NDA Manifesto) पर राजद नेता तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्य ने तीखा हमला बोलते हुए इसे “नए लिफाफे में पुराना मजमून” करार दिया। उन्होंने कहा कि एनडीए का यह घोषणापत्र महागठबंधन के “तेजस्वी प्रण” की नकल है, जिसमें कुछ हेरफेर के साथ वही पुरानी बातें दोहराई गई हैं। रोहिणी आचार्य ने कहा कि एनडीए के पास न तो कोई मौलिक सोच है और न ही बिहार के लिए कोई ठोस विकास दृष्टि। उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए ने अपने पुराने अधूरे वादों को फिर से सजाकर जनता के सामने रख दिया है। “यह घोषणापत्र बिहार के बुनियादी विकास से नहीं, बल्कि सतही और दिखावटी योजनाओं से भरा है,” उन्होंने कहा।
रोहिणी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि इसके उलट राजद-नेतृत्व वाले महागठबंधन का घोषणापत्र “तेजस्वी प्रण” बिहार के समावेशी विकास, सामाजिक न्याय और रोजगार सृजन की वास्तविक दिशा दिखाता है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन का ध्यान सिर्फ घोषणाओं पर नहीं, बल्कि लागू करने की नीयत पर है — और तेजस्वी यादव ने अपने 17 महीनों के कार्यकाल में इस बात को साबित भी किया है।
महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर रोहिणी ने याद दिलाया कि “माई-बहिन मान योजना” पहले से महागठबंधन की सोच में शामिल रही है। इसी तरह, जीविका दीदियों के लिए ब्याज माफी, सरकारी दर्जा और 30,000 रुपये मासिक वेतन जैसी घोषणाएं पहले ही “तेजस्वी प्रण” के तहत की जा चुकी हैं।
रोहिणी ने यह भी कहा कि “हर परिवार से एक सरकारी नौकरी” का वादा महागठबंधन का ऐसा प्रस्ताव है, जो सीधे तौर पर बिहार के आर्थिक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है। लेकिन एनडीए इस पहल की आलोचना कर अपनी संवेदनहीनता दिखा रहा है।
एनडीए के खिलाफ अपने हमले को और धार देते हुए उन्होंने कहा कि संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को स्थायी करने की दिशा में एनडीए ने कभी कदम नहीं उठाया, जबकि “तेजस्वी प्रण” इस मुद्दे पर स्पष्ट नीति लेकर आया है। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में एनडीए सिर्फ झूठे वादों से जनता को गुमराह करता रहा है।
“तेजस्वी प्रण” के प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महागठबंधन ने 500 रुपये में गैस सिलिंडर, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, 25 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज, बुजुर्गों को ₹1500 पेंशन, दिव्यांगों को ₹3000, महिलाओं को ₹2500 की मासिक सहायता जैसी योजनाएं पेश की हैं। इसके अलावा परीक्षार्थियों के लिए मुफ्त बस सेवा, निवेशकों की सुरक्षा के लिए SIT गठन, पत्रकारों के लिए मुफ्त हॉस्टल और इलाज की सुविधा, तथा अधिवक्ताओं के लिए बीमा योजनाएं जैसे प्रावधान भी शामिल हैं।






















