लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (RahuI Gandhi Begusarai) ने रविवार को बिहार के बेगूसराय में एक अनोखे अंदाज़ में चुनावी अभियान चलाया। पारंपरिक मंच से भाषण देने के बाद राहुल गांधी सीधे जनता के बीच, तालाब के किनारे पहुंचे। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के साथ उन्होंने न केवल मछुआरों से संवाद किया, बल्कि खुद तालाब में उतरकर मछली पकड़ने में भी हिस्सा लिया। नाव पर सवार राहुल गांधी ने जाल फेंका, मछलियां पकड़ीं और फिर तालाब में डुबकी लगाई — यह दृश्य जल्द ही सोशल मीडिया और राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बन गया।

राहुल गांधी ने इस दौरान मछुआरा समुदाय की समस्याओं को गहराई से समझने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि “भारत में मछुआरे सिर्फ मेहनतकश नहीं, बल्कि जल-आधारित अर्थव्यवस्था के असली स्तंभ हैं। इन्हें सिर्फ वोट के लिए नहीं, सम्मान और अवसर के लिए भी देखा जाना चाहिए।” उन्होंने मछुआरों के रोजगार, प्रशिक्षण और बाजार सुविधा को लेकर महागठबंधन के वादों को दोहराया।
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महागठबंधन ने अपने घोषणापत्र में मछुआरा परिवारों के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया है। इसमें प्रमुख है — लीन पीरियड यानी मछली पकड़ने के प्रतिबंधित तीन महीनों के दौरान प्रत्येक परिवार को ₹5,000 की वित्तीय सहायता। इसके अलावा, मत्स्य पालन बीमा योजना, प्रत्येक प्रखंड में मछली बाजार, प्रशिक्षण केंद्र और अनुदान आधारित योजनाओं की शुरुआत का वादा किया गया है। साथ ही, नदियों और तालाबों के पुनर्जीवन के लिए एक सुसंगत ‘जलाशय नीति’ लागू करने की बात कही गई है, जिससे पारंपरिक मछुआरों को प्राथमिकता मिले।

राहुल गांधी के इस कदम को चुनावी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। वह इस बार ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के बाद सीधे ‘जनसंपर्क और जनसंवाद’ की राजनीति पर ज़ोर दे रहे हैं। मछुआरों के साथ तालाब में उतरना न केवल प्रतीकात्मक था, बल्कि बिहार की सामाजिक-आर्थिक संरचना में मत्स्यजीवियों की भूमिका को केंद्र में लाने की कोशिश भी थी।






















