बिहार की सियासत में एक बार फिर असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल की ज़मीन से चुनावी रणभेरी बजा दी है। हैदराबाद से सांसद और AIMIM प्रमुख ओवैसी ने अररिया के तुलसिया हाई स्कूल मैदान में आयोजित विशाल जनसभा में महागठबंधन, तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार—तीनों पर एक साथ तीखा हमला बोला। ओवैसी का यह भाषण न सिर्फ राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसमें बिहार की मुस्लिम राजनीति का नया समीकरण भी उभरता दिखाई दिया।
ओवैसी ने तेजस्वी यादव को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि “जो अपने भाई का नहीं हुआ, वो मुसलमानों का क्या होगा?” AIMIM प्रमुख का यह बयान महागठबंधन के मुस्लिम वोट बैंक पर सीधा प्रहार माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव वक्फ कानून को लेकर मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं और नीतीश कुमार ने इस अन्यायपूर्ण कानून का समर्थन कर मुस्लिम समाज की अनदेखी की है।
उन्होंने वक्फ कानून को लेकर गंभीर आरोप लगाए। ओवैसी ने कहा कि इस कानून के ज़रिए मस्जिदों, कब्रिस्तानों और इमामबाड़ों की ज़मीन हड़पने की साज़िश रची जा रही है, जबकि संसद में पारित कानून में बिहार के हितों की अनदेखी हुई है। उन्होंने कहा कि “यह केवल मुसलमानों का नहीं, बल्कि इंसाफ का मामला है। हम इस लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे।”
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सभा के दौरान ओवैसी ने सीमांचल की भीड़ से एक संवेदनशील सवाल किया—अगर 3% आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति उपमुख्यमंत्री बन सकता है, तो 17% मुस्लिम आबादी का नेता मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता? यह सवाल सीधे तौर पर बिहार की मुस्लिम राजनीति के उस मौन को तोड़ने की कोशिश थी, जिसे अब तक बड़े दलों ने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है।
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AIMIM प्रमुख ने तेजस्वी यादव पर आरोप लगाया कि वे केवल सत्ता के स्वार्थ के लिए राजनीति करते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि तेजस्वी ने AIMIM के चार विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था, लेकिन चुनाव आते ही उन्हें टिकट से वंचित कर दिया। ओवैसी ने कटाक्ष करते हुए कहा, “जो अपने सगे भाई तेज प्रताप का नहीं हुआ, वो मुसलमानों का क्या होगा?”
नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों पर हमला बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि “पिछले 35 सालों से बिहार में लालू-नीतीश की जोड़ी जंगल राज चला रही है। गरीबों के बच्चे अब भी बेरोज़गारी और अशिक्षा से जूझ रहे हैं। सीमांचल, सीवान और कटिहार जैसे ज़िले विकास से कोसों दूर हैं, जबकि सत्ताधारी नेताओं को सिर्फ कुर्सी की चिंता है, जनता की नहीं।”






















