वीआईपी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) ने दावा किया कि इस बार बिहार की जनता बदलाव के मूड में है। उन्होंने कहा, “सरकार बदलने को लेकर हर समुदाय में ज़बरदस्त उत्साह है। लोग समझ चुके हैं कि तेजस्वी मतलब सरकारी नौकरी।”
सहनी का यह बयान न केवल महागठबंधन के चुनावी नारे को धार दे रहा है, बल्कि युवाओं के बीच ‘रोज़गार’ के मुद्दे को केंद्र में ला रहा है। उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य की मौजूदा सरकार अब “रिमोट कंट्रोल” से चल रही है। सहनी के अनुसार, “नीतीश कुमार अस्वस्थ हैं, वे कोई फ़ैसला नहीं ले रहे, बल्कि नौकरशाह सरकार चला रहे हैं। असली नियंत्रण दिल्ली से हो रहा है।” यह टिप्पणी सीधे तौर पर बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की नीति पर सवाल खड़ा करती है।
खेसारी लाल यादव बोले- मंदिर ज़रूरी है, पर अस्पताल और रोजगार भी भगवान से कम नहीं..
महागठबंधन के नेताओं की कोशिश है कि बिहार की जनता के बीच ‘स्थानीय मुद्दों’ को केंद्र में रखा जाए—रोज़गार, शिक्षा, और शासन में पारदर्शिता जैसे पहलू इस चुनावी नैरेटिव के केंद्र में हैं। सहनी का बयान इस बात को पुष्ट करता है कि महागठबंधन ‘तेजस्वी यादव’ को रोजगार और विकास के प्रतीक के रूप में पेश करना चाहता है।
इस दौरान सहनी ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर भी कड़ा हमला बोला। उन्होंने राहुल गांधी पर गिरिराज सिंह की टिप्पणी को “निषाद समुदाय का अपमान” बताया। सहनी ने कहा, “राहुल गांधी हर समुदाय के साथ खड़े होते हैं, यहां तक कि वे मछली पकड़ने के लिए तालाब में भी उतरे थे। गिरिराज सिंह को इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।” सहनी की यह प्रतिक्रिया न केवल कांग्रेस के साथ उनकी एकजुटता दिखाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि महागठबंधन सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश में जुटा है।
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। सहनी बोले, “प्रधानमंत्री के पास देश के विकास के लिए समय नहीं है। वे चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं और जीतने के बाद राज्यों को भूल जाते हैं।”






















