बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Politics 2020) सिर्फ सियासी समीकरणों में बदलाव का गवाह नहीं बना, बल्कि इसने विधायकों की संपत्ति के मामले में भी नया इतिहास रच दिया। करोड़पति विधायकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ, जिससे यह सवाल खड़ा होता है कि राजनीति में धनबल की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो गई है।
राजनीति और बढ़ती संपत्ति: आंकड़ों की जुबानी
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
• 2015: 33 विधायक (61%) करोड़पति थे।
• 2020: 65 विधायक (89%) करोड़पति चुने गए।
जनता दल यूनाइटेड (जदयू)
• 2015: 51 विधायक (51%) करोड़पति थे।
• 2020: 38 विधायक (88%) करोड़पति चुने गए।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद)
• 2015: 51 विधायक (64%) करोड़पति थे।
• 2020: 64 विधायक (87%) करोड़पति चुने गए।
कांग्रेस
• 2015: 17 विधायक (68%) करोड़पति थे।
• 2020: 14 विधायक (74%) करोड़पति चुने गए।
अन्य (भाजपा, जदयू, राजद, कांग्रेस को छोड़कर)
• 2015: 8 विधायक (24%) करोड़पति थे।
• 2020: 13 विधायक (35%) करोड़पति चुने गए।
बिहार में विधायकों की करोड़पति बनने की गति आश्चर्यजनक है। महज पांच वर्षों में लगभग सभी प्रमुख दलों के विधायकों की संपत्ति में बढ़ोतरी देखी गई है। क्या यह राजनीति में धनबल की बढ़ती भूमिका का संकेत है या यह मात्र एक संयोग?
जब ‘लालू युग’ की नींव हिली और ‘राबड़ी राज’ का उदय हुआ
वर्तमान आंकड़े दर्शाते हैं कि गरीब और मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि के नेताओं की राजनीति में हिस्सेदारी कम हो रही है। यह लोकतंत्र के लिए एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि एक आम नागरिक के लिए चुनाव लड़ना और जीतना अब पहले से अधिक कठिन हो गया है।
टाइगर अभी ज़िंदा है.. नीतीश कुमार के लिए पटना की सड़कों पर लग गए पोस्टर
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 ने यह साबित कर दिया कि राजनीति अब केवल विचारों की लड़ाई नहीं, बल्कि पूंजी की ताकत का खेल भी बन चुकी है। अब देखना यह है कि क्या जनता इसे स्वीकार करेगी या आने वाले चुनावों में बदलाव की नई लहर देखने को मिलेगी।






















