बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। एनडीए गठबंधन ने अपार बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की और 20 नवंबर को राज्य में नई सरकार का गठन हुआ। इस शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि उनके साथ कुल 26 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ लेकर नई राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की। पटना के गांधी मैदान में हुए इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के बाद अब सरकार ने अपने अगले चरण की ओर कदम बढ़ा दिया है।
अब विभागों के बंटवारे के बाद नजरें 25 नवंबर की सुबह 11 बजे होने वाली पहली कैबिनेट बैठक पर टिक गई हैं। यह बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में होने वाली है और इसे नई सरकार की दिशा और प्राथमिकताओं का पहला स्पष्ट संकेत माना जा रहा है। कैबिनेट में जेडीयू, बीजेपी, हम और लोजपा के मंत्री शामिल होंगे और यह बैठक इस नई सरकार के भविष्य के एजेंडा का आधार तय करेगी।
चर्चा यह भी है कि इस बैठक में कुछ बड़े और जनहित से जुड़े फैसलों की घोषणा हो सकती है, जिनमें युवाओं और महिलाओं से जुड़े मुद्दे सबसे अग्रणी हैं। विशेष रूप से उन महिलाओं की निगाह इस बैठक पर है जिन्हें अभी तक सरकार की 10 हजार रुपये वाली आर्थिक सहायता योजना का लाभ नहीं मिला है।
बिहार के बेरोजगार युवा भी उम्मीद लगाए हुए हैं कि नीतीश कुमार और एनडीए सरकार राज्य में रोजगार, कौशल विकास और सरकारी नियुक्तियों पर कोई ठोस और व्यवहारिक घोषणा करेंगी। चुनाव प्रचार के दौरान जिस युवाशक्ति और महिला वोट बैंक पर एनडीए ने भरोसा जताया था, अब वही सरकार की पहली परीक्षा होगा।
नीतीश कुमार की 10वीं पारी राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार उनके साथियों और विपक्ष दोनों की अपेक्षाएं अधिक हैं। एक ओर भाजपा नेतृत्व इस सरकार को विकास और कानून व्यवस्था पर तेज़ी से आगे बढ़ाने की रणनीति में दिख रहा है, जबकि नीतीश कुमार की छवि प्रशासनिक अनुभवी नेता की है जिसने अपनी पिछली सरकारों में कई बड़े फैसले लिए थे।






















