बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास खाली करने का नोटिस (Rabri Devi Notice) मिला है, जिसके बाद सियासी आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। भवन निर्माण विभाग द्वारा जारी इस नोटिस को लेकर विपक्ष ने नीतीश कुमार सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। हालांकि एनडीए में शामिल जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ ने इसे पूरी तरह कानूनी और न्यायालय आधारित निर्णय बताया है।
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हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन ने बुधवार, 26 नवंबर 2025 को कहा कि विभाग ने कोई गलती नहीं की है और यह अदालत का निर्णय है जिसे लागू किया जा रहा है। उनके अनुसार, चार वर्ष पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला स्पष्ट रूप से कहता है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को स्थायी रूप से सरकारी आवास आवंटित नहीं किया जाएगा। राबड़ी देवी को यह आवास इस कारण मिला था क्योंकि वे सदन की नेता थीं, लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत उनके आवास में बदलाव तय किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राबड़ी देवी को बेघर नहीं किया जा रहा, बल्कि उन्हें नया और विशाल आवास आवंटित किया गया है। इसे अनावश्यक राजनीतिक रंग देना उचित नहीं।
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संतोष सुमन ने तेज प्रताप यादव के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने लालू-नीतीश की दोस्ती की बात कही थी। संतोष सुमन ने कहा कि राजनीति में बयानबाज़ी अपनी जगह है, लेकिन कानून सभी के लिए समान है और तेज प्रताप यादव स्वयं चुनाव हारने के बाद तुरंत आवास खाली कर चुके हैं। सरकारी आवास सरकार के अधिकार क्षेत्र में होता है, इसलिए आवंटन या परिवर्तन पर विवाद खड़ा करना गलत है। सरकार जब चाहे किसी का आवासन बदल सकती है।
यह भी उल्लेखनीय है कि जब जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़े आवास और Y+ श्रेणी सुरक्षा जैसी विशेष सुविधाएं प्रदान की थीं। उस समय नीतीश कुमार सहित सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को इसका लाभ मिला था।






















