बिहार में नई एनडीए सरकार बनने के बाद लगातार हो रही बुलडोजर कार्रवाई (Bulldozer Politics in Bihar) को लेकर राजनीतिक माहौल तेज हो गया है। पालीगंज से माले विधायक संदीप सौरभ ने पटना में मीडिया से बातचीत में सरकार पर तीखा हमला किया और इसे गरीबों के साथ क्रूर अन्याय बताया। उनका कहना है कि चुनाव से पहले सरकार 10,000 रुपये देने का वादा कर गरीबों को सपने दिखाती है, लेकिन सत्ता हासिल करते ही उन्हीं गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलवा रही है। यह लोकतंत्र का अपमान है और इसका हर स्तर पर प्रतिरोध किया जाएगा।
विधायक ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई योजनाबद्ध तरीके से की जा रही है ताकि कमजोर वर्ग भयभीत हो और अपनी आवाज न उठा सके। उन्होंने कहा कि गरीबों की झोपड़ियां और रेहड़ी-पटरी वालों की रोज़ी-रोटी उजाड़कर विकास नहीं होता, बल्कि यह तानाशाही शासन का संकेत है।
माले विधायक ने हाल ही में लागू किए गए संचार ऐप पर भी बड़ा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार जनता को जबरन निगरानी व्यवस्था में धकेल रही है और यह नागरिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने पेगासस प्रकरण देखा है कि किस तरह निजता का उल्लंघन हुआ। अब बिहार सरकार जबरन लोगों को एक ऐप से जोड़कर उनकी निगरानी करना चाहती है। यह लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है और हम इसका कड़ा विरोध करेंगे।
उनके अनुसार, सरकार विकास और रोजगार जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की तकनीकी रणनीति अपना रही है, जिससे जनता की स्वतंत्रता सीमित होगी। विधायक संदीप सौरभ ने सरकार द्वारा पीएमओ से लेकर राज भवन तक के नाम बदलने की राजनीति पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि सरकार के पास युवाओं की बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और महंगाई जैसे ज़रूरी मुद्दों पर चर्चा करने का समय नहीं है। उन्होंने कटाक्ष किया कि लोग सोचते थे यह सरकार गेम चेंजर साबित होगी, लेकिन यह सिर्फ ‘नेम चेंजर’ बनकर रह गई है। जनता परिणाम चाहती है, न कि नाम बदलने की नौटंकी।






















