विजय हजारे ट्रॉफी (Vijay Hazare Trophy) के प्लेट ग्रुप में खेले गए एक मुकाबले ने भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास को हिला दिया। बिहार ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ छह विकेट पर 574 रन बनाकर लिस्ट-ए क्रिकेट का अब तक का सबसे बड़ा टीम स्कोर दर्ज कर दिया। यह सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं था, बल्कि एक ऐसा क्षण था जिसने भविष्य के सितारों, मौजूदा संरचना और प्रतिस्पर्धा के स्तर पर नई बहस को जन्म दे दिया।
इस ऐतिहासिक स्कोर के केंद्र में रहे महज़ 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी, जिनकी बल्लेबाज़ी ने उम्र और अनुभव की परिभाषा ही बदल दी। वैभव ने 84 गेंदों में 190 रन ठोकते हुए जिस आत्मविश्वास और ताकत का प्रदर्शन किया, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के बल्लेबाजों की याद दिलाता है। उन्होंने केवल 36 गेंदों में शतक पूरा किया और 16 चौके व 15 छक्कों की बरसात के साथ 226 से ऊपर के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। यह पारी सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं थी, बल्कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य की एक झलक थी।
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वैभव का साथ निभाया बिहार के कप्तान सकीबुल गनी ने, जिन्होंने 40 गेंदों में 128 रन बनाकर भारतीय लिस्ट-ए क्रिकेट का सबसे तेज शतक जड़ा। महज़ 32 गेंदों में आए इस शतक ने मैच को पूरी तरह एकतरफा बना दिया। नतीजा यह हुआ कि लक्ष्य का पीछा करने उतरी अरुणाचल प्रदेश की टीम 177 रन पर सिमट गई और बिहार ने 397 रन की विशाल जीत दर्ज की।
रिकॉर्ड्स की इस बारिश के बीच टीम इंडिया के सीनियर स्पिनर आर अश्विन ने इस मुकाबले को एक अलग नजरिए से देखा। अपने यूट्यूब चैनल पर बातचीत के दौरान अश्विन ने वैभव और सकीबुल की तारीफ तो की, लेकिन साथ ही घरेलू क्रिकेट की संरचना पर गंभीर सवाल भी उठाए। उनके मुताबिक कुछ टीमों के बीच गुणवत्ता का अंतर इतना ज्यादा है कि मुकाबला “चॉक और चीज” जैसा हो जाता है, जहां प्रतिस्पर्धा लगभग खत्म हो जाती है। अश्विन ने साफ शब्दों में कहा कि ऐसे एकतरफा मैच आदर्श नहीं कहे जा सकते।
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हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कमजोर विरोधी के नाम पर बल्लेबाजों के कारनामों को कम नहीं आंका जाना चाहिए। अश्विन का मानना है कि रन कहीं भी बनें, बड़े रन ही होते हैं। अगर कोई खिलाड़ी अपने मोहल्ले में भी दोहरा शतक लगाता है, तो वह उपलब्धि ही कहलाएगी। यह टिप्पणी युवा वैभव सूर्यवंशी के आत्मविश्वास को सही संदर्भ में देखने की सलाह देती है।
अश्विन की सबसे अहम चिंता भविष्य को लेकर रही। उनका सवाल था कि इस तरह की करारी हारें अरुणाचल प्रदेश जैसी उभरती टीमों के आत्मविश्वास पर क्या असर डालेंगी। अगर भारतीय क्रिकेट सच में सभी राज्यों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहता है, तो प्लेट और एलीट ग्रुप सिस्टम पर पुनर्विचार जरूरी हो सकता है। यही वजह है कि यह मैच सिर्फ एक स्कोरकार्ड तक सीमित नहीं रहा, बल्कि घरेलू क्रिकेट की दिशा पर बहस का कारण बन गया।
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इसी चर्चा के दौरान अश्विन ने ईशान किशन के संघर्ष और वापसी की भी खुलकर सराहना की। विजय हजारे ट्रॉफी में झारखंड की कप्तानी करते हुए ईशान ने कर्नाटक के खिलाफ 33 गेंदों में शतक और 39 गेंदों में 125 रन बनाकर यह दिखा दिया कि फॉर्म और आत्मविश्वास कैसे लौटता है। अश्विन के अनुसार ईशान का सफर यह सिखाता है कि कठिन दौर, टीम से बाहर होना और ब्रेक लेना अंत नहीं होता, बल्कि मेहनत और धैर्य से वापसी की जा सकती है।
बिहार बनाम अरुणाचल प्रदेश का यह मुकाबला इसलिए खास है क्योंकि इसने एक तरफ भारतीय क्रिकेट को 14 साल का नया सितारा दिया, तो दूसरी तरफ सिस्टम पर जरूरी सवाल खड़े कर दिए। शायद यही वजह है कि यह मैच सिर्फ रिकॉर्ड्स के लिए नहीं, बल्कि भारतीय घरेलू क्रिकेट के भविष्य की दिशा तय करने वाली बहस के लिए भी याद रखा जाएगा।





















