बिहार के रोहतास जिले में ट्रायल के दौरान रोपवे (Rohtas Ropeway Accident) गिरने की घटना ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली और निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। अब इस मामले में कराई गई उच्चस्तरीय जांच पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट सामने आते ही सरकार ने सख्त कार्रवाई का संकेत नहीं बल्कि ठोस कदम उठाकर यह साफ कर दिया है कि सार्वजनिक सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक रोपवे परियोजना में तकनीकी मानकों की अनदेखी की गई। खास तौर पर यह सामने आया कि ट्रायल के दौरान रोपवे निर्धारित लोड वहन करने में सक्षम नहीं था। इसी तकनीकी खामी के चलते हादसा हुआ। रिपोर्ट में संवेदक कंपनी के साथ-साथ पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया है।
राज्य सरकार ने रिपोर्ट के आधार पर प्रोजेक्ट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही रोपवे निर्माण में शामिल निजी कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई न जा सके। सरकार का यह कदम साफ संकेत देता है कि अब विकास परियोजनाओं में जवाबदेही तय की जाएगी।
इस पूरे मामले पर बिहार सरकार में मंत्री दिलीप जायसवाल का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि रोपवे हादसे की जांच रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है और IIT पटना से मिली प्रारंभिक जानकारी के आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि संरचना लोड लेने में सक्षम क्यों नहीं हो पाई। उन्होंने यह भी कहा कि दो इंजीनियरों पर कार्रवाई की जा रही है और मामले की विस्तृत तकनीकी जांच IIT पटना के विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी परियोजनाओं के लिए सख्त गाइडलाइन तय की जा सके।






















