जमुई लोकसभा क्षेत्र में राजनीति (Jamui Politics News) उस वक्त अचानक केंद्र में आ गई, जब शहर के कई प्रमुख इलाकों में सांसद अरुण भारती को ‘लापता’ बताने वाले पोस्टर नजर आए। कचहरी चौक, रजिस्ट्री ऑफिस, के.के.एम कॉलेज जैसे व्यस्त और संवेदनशील स्थानों पर लगे इन पोस्टरों ने न सिर्फ आम लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज कर दी। एकाएक उभरे इस घटनाक्रम ने जनप्रतिनिधि की भूमिका, जवाबदेही और क्षेत्र से जुड़ाव जैसे मुद्दों को फिर से चर्चा के केंद्र में ला दिया है।

पोस्टरों की भाषा और संदेश ने यह संकेत दिया कि सांसद अरुण भारती लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय रूप से दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसमें विकास कार्यों, जनता की समस्याओं और स्थानीय संवाद की कमी की ओर अप्रत्यक्ष रूप से इशारा किया गया है। यही कारण है कि इन पोस्टरों को केवल एक शरारत नहीं, बल्कि राजनीतिक असंतोष की अभिव्यक्ति के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, यह साफ नहीं हो सका है कि इन्हें किस संगठन या व्यक्ति ने लगवाया है, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
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शहर में दिनभर इस मुद्दे पर चर्चाएं होती रहीं। चाय की दुकानों से लेकर सामाजिक मंचों तक लोग यह सवाल करते दिखे कि क्या यह जनता की नाराजगी का प्रतीक है या फिर आगामी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा। कुछ लोगों का मानना है कि यह पोस्टर जनदबाव बनाने का तरीका हो सकता है, ताकि सांसद क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाएं, जबकि कुछ इसे विरोधी खेमे की सियासी चाल मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी ‘लापता सांसद’ शब्द तेजी से ट्रेंड करता दिखा, जिसने इस स्थानीय घटना को व्यापक चर्चा में ला दिया।
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प्रशासनिक स्तर पर भी पूरे घटनाक्रम पर नजर रखी जा रही है। कानून-व्यवस्था के लिहाज से पोस्टरों के सार्वजनिक स्थलों पर चिपकाए जाने की जांच की जा सकती है, हालांकि अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इस मुद्दे पर जल्द स्थिति स्पष्ट नहीं हुई, तो यह जमुई की राजनीति में लंबे समय तक असर डाल सकता है और आगामी चुनावी माहौल को भी प्रभावित कर सकता है।






















