वैसे तो हम अक्सर बड़े बजट की फ़िल्में देखते हैं जिनके मेकिंग से लेकर प्रोमोशन तक करोड़ों रुपये खर्च होते हैं तब जाकर वह फिल्म हिट होती है| कुछ ऐसी भी फ़िल्में हैं जो काफी कम बजट में एक बेहतरीन कहानी के साथ बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर जाती है| कुछ हफ्तों पहले आई ऐसी ही एक फिल्म जिसने सबका ध्यान अपनी और खिंचा “दी कश्मीर फाइल्स” इस फिल्म ने दो हफ्तों में 180 करोड़ से ज्यादा का मुनाफा किया है| मात्र 20 करोड़ में बनी यह फिल्म दर्शकों को इस तरह भाया की लोगों ने खुद इसका प्रचार कर दिया| जबकि इसी के साथ आई एक और फिल्म शिकारा कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई| ये बात हम सब जानते हैं कम बजट की फ़िल्में पूरी तरीके से दर्शकों पर निर्भर होती है|
सच्ची घटना पर आधारित
अगर बात करें मूवी ‘द कश्मीर फाइल्स’ कि तो यह एक सच्ची घटना पर आधारित है| यह मूवी उस त्रासदी को दिखाती है जिनमें हजारों कश्मीरी पंडितो को अपने ही घर से बेघर होना पड़ा था| इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा हिंदुओं का नरसंहार और किस बेरहमी से उन्हें भागने के लिए मजबूर किया गया था, इस पूरी घटना का चलचित्र देखने वालों को भावुक कर देता है।
घटना से सारा देश अनजान था
द कश्मीर फाइल्स उस घटना को उजागर करती है जिससे आज तक पूरा देश अनजान था| इस मूवी को दर्शकों से काफि सराहना मिली| इस फिल्म के मंझे हुए कलाकारों को भी इसकी सफलता का श्रेय दिया जा सकता है| फिल्म की कहानी 90 के दशक की घटनाओं के इर्द गिर्द घुमती है| कश्मीरी पंडितो की पीड़ा, उस वक्त्र उन पर होने वाले अत्याचार दर्शकों का मन झकझोर देता है| विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित यह फिल्म रौंगटे खड़े कर देती है| इन्होनें इससे पहले ‘द ताशकंद फाइल्स’ बनाई थी जिसने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा था|
कम बजट की फिल्म को प्यार
पीपली लाइव, तेरे बिन लादेन, लिपस्टिक अंडर माय बुरखा, विद्या बालन कि फिल्म काहानी कुछ ऐसी ही कम बजट में बनी फिल्मे है जो दर्शकों का ढेर सारा प्यार बटोरने में कामयाब रही| इनमें से जिस फिल्म ने सबसे ज्यादा मुनाफा कमाया वो है वह विद्या बालन की फिल्म ‘कहानी’ जो मात्र 8 करोड़ में बनी| वहीं इस फिल्म ने 105 करोड़ रुपये कमाए| एक और फिल्म ‘नो ओन किल्ल्ड जेस्सिका ‘ ने 105 करोड़ कमाए, जबकि यह फिल्म मात्र 8 करोड़ में बनी थी|
सामाजिक मुद्दों को उठाती फिल्म
हालिया आई फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुरखा ने भी कुछ ऐसा ही कमाल दिखाया इस फिल्म की कहानी चार औरतों के इर्द गिर्द घुमती है जो समाज में थोड़ी सी आज़ादी की तलाश में है| यह फिल्म बहुत सारे सामाजिक मुद्दों को भी उठाती है| रत्ना पाठक, कोंकणा सेन, अहाना, प्लाबिता ने बड़ी बखूबी से अपने किरदारों को निभाया है| इस फिल्म को बनाने में 6 करोड़ रुपये खर्च हुए जबकि बॉक्स ऑफिस पर इसने 27 करोड़ कमाया|
सामाजिक मुद्दों पर आधारित
कम बजट की बनी फिल्मे ज्यादातर गंभीर और सामजिक मुद्दों को सामने लाने का प्रयास करती हैं| अक्सर निर्देशक प्रयोग करने से कतराते है क्योंकि कई बार ऐसी फिल्मो को वाहवाही तो खूब मिलती है पर बॉक्स ऑफिस पर ये कुछ खास नहीं कर पाती| अगर निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की बात करें तो कुछ मसाला फिल्में जैसे की हेट स्टोरी और जिद्द जैसी फिल्मे बनाई लेकिन उनका ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द ताशकंद फाइल्स’ जैसी प्रयोगात्मक फिल्मे बनाना सराहनीय है|
सिनेमा प्रयोग की तरफ बढ़ रहा
हिंदी सिनेमा अब प्रयोग की तरफ आगे बढ़ रहा है, दर्शक भी अब सिर्फ मसाला फिल्मों तक सिमित नहीं है, वह विभिन्न विषयों पर बनी कहानियां देखना चाहते हैं| भारतीय दर्शकों की ही बदौलत आज हिंदी सिनेमा का नाम विश्व भर में प्रसिद्द है| बहुत सारे विश्व स्तरीय फिल्म फेस्टिवल्स जैसे कान्स फिल्म महोत्सव और एशियन फिल्म महोत्सव में भी हिंदी सिनेमा और उन के काम को काफी सराहना मिलती रही है