[Team insider] राज्य की राजनीति मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खदान लीज मामले पर गरमाई हुई है और सूबे में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग लगातार जारी है। बता दें कि यह मामला फिलहाल भारत के निर्वाचन आयोग के पास है। सबकी निगाहें आयोग के फैसले पर टिकी हुई। इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रिया भट्टाचार्य और विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया।
वहीं सुप्रिया भट्टाचार्य ने कहा कि जो वर्तमान स्थिति राजनीतिक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। उस विषय में भी भारत का सर्वोच्च न्यायालय पूर्व में कई बार स्थितियां स्पष्ट कर चुकी है। हमारे पास राज्य के विषय में कुछ केस स्टडी है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस में नहीं आता।
भाजपा राज्य को अस्थिर करना चाहती है
विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खदान लीज मामले पर भाजपा भ्रम फैला रही है। भाजपा राज्य को अस्थिर करना चाहती है लेकिन भाजपा का यह मंसूबा कभी कामयाब नहीं होगा। कहा कि देश में न्यायलय है और झामुमो को न्यायलय पर पूरा भरोसा है। विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि खनन लीज मामले में हर पहलू को देखने की जरूरत है। ऐसे मामलों में सरकार या कोई भी बर्खास्त नहीं हो सकता। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजमेंट का हवाला दिया।
माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस के तहत नहीं आता
कहा कि सीवीके राव बनाम दत्तू भसकरा -1964 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 (ए) के तहत माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस के तहत नहीं आता। 2001 में करतार सिंह भदाना बनाम हरि सिंह नालवा व अन्य और 2006 में श्रीकांत बनाम बसंत राव व अन्य मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह का निर्णय दिया था। विधायक ने कहा कि धारा 9 (ए) के तहत सभी तरह के मामलों में किसी भी व्यक्ति को उसके पद से बर्खास्त नहीं किया जा सकता। केवल सप्लाई ऑफ गुड्स और सरकारी कामों का उपयोग करने में ही ऐसा किया जा सकता है। माइंस लीज का मामला इसमें नहीं आता।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही अपने चुनावी हलफनामे में इस बात का जिक्र किया है कि उनके नाम से एक माइंस लीज पर है, जिसे उन्होंने रिन्यूअल के लिए भेजा है। ऐसे में तो कोई आपराधिक मामला बनता ही नहीं।