97 वर्ष की उम्र में होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ बी भट्टाचार्य (Dr.B.Bhattacharya) इस दुनिया को छोड़ कर हमेशा के लिए अलविदा कह गए। सुबह 7:30 बजे पटेल नगर स्थित आवास पर अपने प्राण को त्यागा। उनके निधन के बाद सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो चुकी है। हमेशा से ही बिना किसी स्वार्थ के मानव सेवा करना उनका धर्म बन चुका था। ह केवल अपने होम्योपैथ चिकित्सा विधा से लोगों का भला करना चाहते थे बदले में उन्हें कभी भी किसी चीज़ की चाह नहीं रही।
1950 से कर रहे थे जनसेवा
दरअसल साल 1950 से डॉ बी भट्टाचार्य ने पटना स्थित राजापुर पुल के पास से फ्री चिकित्सीय सेवा देने की शुरुआत की थी। जिसके बाद वह पटना के कदमकुआं इलाके में मात्र 2 रुपये फीस लेकर लोगों का इलाज करते थे। वह हर सुबह 5 बजे क्लिनिक जाते और रात 11 बजे तक मरीजों को देखा करते थे।
अन्य राज्यों से आते थे मरीज
डॉ बी भट्टाचार्य होम्योपैथी दवाओं के इतने बड़े जानकार थे की उनके पास न केवल बिहार से, बल्कि अन्य राज्यों से भी लोग अपनी बीमारी का इलाज कराने आते थे। साल 1950 से 2021 तक उन्होंने लगातार जनसेवा में खुद को समर्पित किया है। जिसके बाद वह अस्वस्थत होने के कारण पिछले साल से मरीजों का इलाज नहीं कर पा रहे थे। बताया जा रहा है कि केवल उनसे इलाज कराने के लिए उनके क्लिनिक के बाहर लंबी लाइन लगी रहती थी। लोग तो यहां तक कहते थे कि रात 2 बजे से ही मरीज या उनके परिजन लाइन में खड़े होकर अपनी बारी के आने का इंतज़ार करते रहते थे।
डॉ बी भट्टाचार्य ने निःस्वार्थ मानव सेवा को बनाया लक्ष्य
बता दें कि डॉ भट्टाचार्य के साथ काफी समय तक सहयोगी रहने वाले उनके छात्र आज के समय में होम्योपैथी के बड़े नाम डॉ आर सी पाल के रूप में जाने जाते है। जिन्होंने आज अपने पिता सामान गुरु को हमेशा हमेशा के लिए खो दिया। सिर्फ उन्हें ही नहीं, डॉ भट्टाचार्य ने करीबन 20 से 25 लोगों को होम्योपैथी की शिक्षा दी थी और एक सफल डॉक्टर बनाया। ऐसे लोग महान होते हैं और मानव सेवा करना ही अपने जीवन लक्ष्य बना लेते है।