बिहार के छपरा जिला से एक अजीब मामला सामने आया है। जहां भू-माफिया और मंदिर के पुजारी के वंशजों के मिलीभगत से बाबू वीर कुंवर सिंह के धरोहर को ही बेच डाला। खबर के मुताबिक़ छपरा शहर के कटरा नया बाजार स्थित कुंवर सिंह का खंजाची महल को हटा कर इसके 24 कट्ठे जमीन को गलत तरीके से हथिया लिया गया। उसके बाद उसे बेच दिया गया है।
महल अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का साक्षी
बाबू कुंवर सिंह का यह खजांची महल अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का साक्षी रहा है। बताया जा रहा है कि जगदीशपुर राज का भोजपुर और सारण की भू-संपदा का हिस्सा था। जहां राजस्व वसूली के लिए छपरा स्थित शाहाबाद राज का यह महल था। इसी खजांची महल से ही सारण और भोजपुर में राजस्व की वसूली की जाती थी। समय बीतने के कारण और राज्य सरकार के लापारवाही के कारण यह खजांची महल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में चला गया। जिसके बाद भू-माफिया की नजर लग गई। जिसके बाद भू-माफिया और महल स्थित मंदिर के पुजारी के वंशजों के मिलीभगत से 24 कट्ठा जमीन बेच दिया गया।
खजांची महल में एक सप्ताह तक रहे
अब इस जमीन पर दर्जनों मकान भी बन चुके हैं। अब बाबू वीर कुंवर सिंह की धरोहर खजांची महल का अस्तित्व तक नजर नहीं आता। वहीं जब अधिकारियों से बात की गई तो वह कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं। बताते चलें कि स्वाधीनता संग्राम में बिहार के देश के प्रथम महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह थें। जहां अंग्रेजों के लाख कोशिशों के बावजूद भी भोजपुर लंबे समय तक स्वतंत्र रहा। वहीं जब अंग्रेजों ने जगदीशपुर को अपने कब्जे में लेना शुरू किया तो उन्हें अपनी जन्मभूमि छोडनी पड़ी। उसके बाद बाबू वीर कुंवर सिंह खजांची महल में एक सप्ताह तक रहे थें।
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