कपिल सिब्बल, ये नाम कोई गुमनाम चेहरा नहीं है। मूलरूप से पंजाब के जालंधर के रहने वाले कपिल सिब्बल की कर्मभूमि दिल्ली रही है। दिल्ली के चांदनी चौक से लोकसभा सांसद रहे हैं। मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। पिछले कुछ सालों से कांग्रेस में रहते हुए गांधी परिवार से बगावत करने वाले कपिल सिब्बल ‘हाथ’ छोड़ कर ‘साइकिल’ चलाने निकल पड़े हैं। राज्यसभा में सिब्बल कांग्रेस के हाथ के सिम्बल पर नहीं समाजवादी पार्टी के साइकिल के सिम्बल पर जा रहे हैं। नॉमिनेशन उन्होंने 25 मई 2022 को कर दिया।
पहला चुनाव हारे, दूसरा जीते
2006 में पद्मभूषण से सम्मानित कपिल सिब्बल, 1989 और 1990 के बीच भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रहे हैं। कोर्ट में दलीलों से विरोधियों को मात देने वाले वकील कपिल सिब्बल को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव राजनीति में लेकर आए। लेकिन 1996 में राजनीति की कोर्ट में सिब्बल पहला ही केस भाजपा की सुषमा स्वराज से हार गए। लेकिन सिब्बल भी हारने वालों में से नहीं थे। 2004 में फिर किस्मत आजमाया। सीट थी दिल्ली की चांदनी चौक। विरोध में थी वो स्मृति ईरानी जो 2019 में राहुल गांधी को पछाड़ चुकी है। सिब्बल ने वो सीट बड़े अंतर से जीती थी।
सपा-सिब्बल एक दूसरे की जरूरत
2009 के लोकसभा चुनाव में भी सिब्बल ने जीत दुहरा दी। लेकिन 2014 की मोदी लहर में न सिब्बल टिके न उनकी सीट। लेकिन राज्यसभा में सिब्बल की सीट बनी रही। कांग्रेस के खिलाफ विरोधी तेवर, विशेष तौर पर गांधी परिवार के खिलाफ उनकी बगावत सुर्खियां बटोरती रही हैं। राज्यसभा के लिए कांग्रेस शायद ही रीन्यूअल करती। खैर, अखिलेश यादव को अच्छे वकील की जरूरत थी। लिहाजा दोनों ने एक दूसरे की जरूरत को समझते हुए एक दूसरे से हाथ मिला लिया।
गीतकार भी हैं सिब्बल
विवादों से घिरे राजनीतिक जीवन में कपिल सिब्बल आक्रामक कमेंट्स के लिए जाने जाते हैं। राम मंदिर के फैसले पर भी सिब्बल ने कहा था कि इसका फैसला लोकसभा चुनाव तक नहीं आए। लेकिन इस तल्खी के बीच कपिल सिब्बल का एक सॉफ्ट चेहरा भी है। वे गीतकार भी हैं। शोरगुल फिल्म के लिए उन्होंने गीत लिखे हैं। बंदूक फिल्म में भी उनका गाना है।