केंद्र की अग्निपथ योजना पर बिहार में सहयोगी जदयू ने मोर्चा खोले हुआ है। रविवार को प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन भाजपा पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अपनी जॉब पॉलिसी पर फिर से विचार करना चाहिए। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के रिपोर्ट को आधार मानते हुए प्रो. नंदन ने कहा कि देश में 2017 और 2022 के बीच लगभग 2.1 करोड़ श्रमिकों ने काम छोड़ दिया है और केवल 9% योग्य आबादी को रोजगार मिला।
‘सीमित कर दी गई सरकारी भर्तियां’
प्रो. नंदन ने आगे कहा कि रोजगार की स्थिति भयावह है लेकिन केंद्र सरकार की मौजूदा नीति युवाओं के सपनों को कुचल रही है। बैंक में रिक्रूटमेंट कम हुआ है। जबकि काम कई गुना ज्यादा बढ़ा है। लोग बैंकों से लगातार जुड़ रहे हैं लेकिन वहां की भर्तियां एकदम सीमित हो गई हैं। आईबीपीएस ने 2020-21 में सिर्फ 7,627 क्लर्क और 4,398 ऑफिसर पदों पर भर्ती की। इससे पहले साल 2015 में 1,13,524 नियुक्तियां हुईं, जो 2017 में घटकर 1,00,933 रह गयीं। वहीं रेलवे की बात करें तो बहाली प्रक्रिया तो रुकी ही है। रेलवे को 2015-16 से 2020-21 के दौरान 81,000 ऐसे पदों को सरेंडर करने का प्रस्ताव दिए गए। यानि इतनी ही नौकरियां समाप्त करने का फैसला केंद्र सरकार ने किया है।
‘अग्निपथ स्कीम गैर जरूरी’
सेना में बहाली की नई प्रक्रिया को नाकाफी, गैरजरुरी और बेकार बताते हुए प्रो. नंदन ने कहा कि यह एक छलावा है। पूरा देश इसके खिलाफ खड़ा है। देश भर के 50 प्रतिशत हिस्सों में हुए प्रदर्शन इसकी गवाही दे रहे हैं। प्रो. नंदन ने कहा कि सेना में भर्ती एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसे अग्निपथ का नाम देकर सरकार युवाओं के साथ मजाक कर रही है। पहले हर साल 60 हजार से अधिक भर्तियां होती थी। अब ये संख्या 45 हजार तक ला दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारा देश वेल्फेयर स्टेट है। अलग भाषा अलग देश, फिर भी अपना एक देश। केंद्र सरकार पॉलिटिकल स्टंट से बाज आए। युवाओं को नौकरियां चाहिए और उसमें ऐसे प्रयोग खतरनाक साबित हो रहे हैं, जिसमें उन्हें बरगलाया जा रहा।