Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट गहरा गया है। महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के बाद राजनीतिक महकमे में बड़े फेरबदल के आसार दिख रहे हैं। शिवसेना का एक बड़ा धड़ा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में टूट की तरफ बढ़ता दिख रहा है।
नए मोड़ पर महाराष्ट्र की राजनीति
महाराष्ट्र में क्या उद्धव ठाकरे की सरकार जाने वाली है? यह एक ऐसा सवाल है जो वर्ष 2019 में शिवसेना के भाजपा से गठबंधन तोड़कर महा विकास अघाड़ी में शामिल होने के समय से ही उठ रहा है, लेकिन महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव इस पूरे प्रकरण में एक नया मोड़ लेकर आया है। अब स्थिति बदलती दिख रही है। शिवसेना के करीब आधे विधायक बगावती मोड में हैं। विधान परिषद चुनाव में भाजपा नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने ऐसा जादू चलाया कि सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी औंधे मुंह गिरी।
‘फंस गई शिवसेना’
देवेंद्र फड़नवीस की रणनीति में शिवसेना फंस कर रह गई। शिवसेना की ओर से 6 विधान परिषद सीटों पर जीत का दावा किया जा रहा था। लेकिन, पार्टी अपनी दो और एनसीपी की दो सीटों को ही बचाने में कामयाब हो सकी। भाजपा ने पांच सीटों पर आसानी से जीत दर्ज कर तमाम कयासों को सही साबित कर दिया। दावा यह किया जा रहा था कि देवेंद्र फड़णवीस चाहें तो शिवसेना में सेंध लगा सकते हैं। दूसरी तरफ से शिवसेना सांसद संजय राउत ने दावा किया कि वे भी भाजपा को तोड़ सकते हैं। लेकिन, रिजल्ट ने औंधे मुंह गिरा दिया।
होटल पहुंचे विधायक
इसके बाद जो हुआ है, वह खासा चौंकाने वाला है। शिवसेना के कम से कम 25 विधायक गुजरात के सूरत के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं। सूत्रों की मानें तो वे महा विकास अघाड़ी सरकार से नाखुश हैं। मिल रही जानकारी के मुताबिक, पहले 11 कमरे ली मेरिडियन होटल में बुक किए गए और सोमवार की रात करीब साढ़े 9 से 10 बजे के बीच 11 विधायक सूरत पहुंचे। उन्होंने होटल में चेक इन किया। इसके बाद महाराष्ट्र के शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में दूसरा बड़ा दल मंगलवार को करीब 1.30 बजे 14 विधायकों के साथ सूरत पहुंचा।
मुंबई से हुई बुक किया गया होटल
सूत्रों ने बताया है कि होटल की बुकिंग मुंबई से की गई थी। गुजरात के भाजपा नेताओं को देर रात सूचित किया गया था। सभी विधायकों के होटल में पहुंचने के बाद सूरत पुलिस को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया गया। निर्देश मिलते ही मौके पर पुलिस बल तैनात किए गए। गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी. पाटिल मंगलवार सुबह तक सूरत में थे। सूत्रों ने कहा कि हालांकि उनके करीबी एकनाथ और पाटिल के बीच किसी भी मुलाकात से इनकार कर रहे हैं। पाटिल मंगलवार सुबह गांधीनगर में अपने निर्धारित योग कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। वह सुबह करीब साढ़े 9 बजे अहमदाबाद पहुंचे।
शिवसेना से हुई है एकनाथ की बात
शिवसेना विधायकों की नाराजगी महा विकास अघाड़ी गठबंधन से है। अगले साल चुनाव होने हैं और अभी तक वे अपने हिसाब से काम नहीं कर पा रहे हैं। इस बीच बड़ी खबर यह निकल कर सामने आ रही है कि एकनाथ शिंदे से शिवसेना के आला नेताओं की बात हुई है। एकनाथ शिंदे का कहना है कि हम शिवसेना में ही रहना चाहते हैं, लेकिन शिवसेना को कांग्रेस-एनसीपी के साथ बनी सरकार से बाहर निकलना पड़ेगा। उनका कहना है कि महा विकास अघाड़ी सरकार में सिर्फ शिवसेना का पतन हो रहा है और सारा फायदा एनसीपी ले रही है।
एनसीपी शिवसेना को खत्म कर रही है
इस सरकार में सारे बड़े बड़े मंत्रिपद के खाते एनसीपी के पास हैं। शिवसेना के पास महत्त्वपूर्ण विभाग नहीं हैं। शिवसेना विधायकों को फंड भी नही दिया जा रहा है, जबकि एनसीपी अपने विधायकों को भरपूर फंड कार्यों के लिए दे रही है। एनसीपी शिवसेना को खत्म कर रही है। एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर के बाद कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरू की है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट का कहना है कि उद्धव सरकार ताजा राजनीतिक हलचल से कोई खतरा नहीं है।
MVA को था 169 विधायकों का समर्थन
दरअल, महाराष्ट्र विधानसभा में महा विकास अघाड़ी के पास 169 विधायकों का समर्थन है। इसमें से 25 निकल भी जाते हैं तो 144 विधायक समर्थन में बने रहेंगे। 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में महा विकास अघाड़ी के समर्थन में शिवसेना के 55, एनसीपी के 52, कांग्रेस के 44, अन्य व निर्दलीय 30 विधायकों का समर्थन है। अगर शिवसेना के 25 विधायक निकलते हैं तो सदन में उद्धव ठाकरे के पक्ष में 32 विधायक बचे रहेंगे। इससे एनसीपी और कांग्रेस उद्धव को मुख्यमंत्री पद से हटाने का भी फैसला ले सकती है।
एनडीए के पक्ष में 114 विधायक
विपक्ष को अगर देखें तो प्रदेश की विधानसभा में भाजपा के नेतृतव वाले एनडीए के पक्ष में 114 विधायक हैं। इसमें भाजपा के 106, आरएसपी के एक, जेएसएस के एक और निर्दलीय 5 विधायकों का समर्थन है। अगर महाराष्ट्र विधानसभा में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में टूटे अगल धड़े को अनुमति मिल भी जाती है तो भाजपा को समर्थन देकर वे 139 विधायकों तक ही पहुंच पाएंगे। हालांकि, भाजपा महा विकास अघाड़ी के समर्थन में खड़े 8 निर्दलीय विधायकों को पाले में लाने का गेम कर सकती है, लेकिन इस पूरे प्रकरण में कमलनाथ की एंट्री होने वाली है। इस घटनाक्रम में तमाम हम आपको देते रहेंगे।