यदि कोई मन में दृढ़संकल्प कर लें तो नगण्य साधन-संसाधन में भी अपने अथक साधना के बल पर अपने लक्ष्य को साध सकता है। ग्राम्य जीवन में पलने- बढ़ने वाले कई विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो न्यूनतम से न्यूनतम साधन में भी जीवन में बेहतर करने का जज्बा रखते हैं। ऐसे ही एक गुदड़ी के लाल हैं बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड स्थित सहारजोरी पंचायत के पगारबांध ग्राम निवासी विद्यार्थी अभिलाष रजवार। अभिलाष रजवार ने गरीबी, तंगहाली और मुफसिली में रहकर नगण्य संसाधन के बावजूद अपने दृढ़ साधना के बदौलत झारखंड एकेडमी काउंसिल द्वारा जारी किए गए इंटरमीडिएट के साइंस संकाय के परीक्षा परिणाम में 455 अंक लाकर +2 हाई स्कूल, चंदनकियारी टॉपर बनने का गौरव हासिल किया।
मां बचपन में ही गुजर गई, पिता को लकवा मार दिया
अभिलाष की मां बचपन में ही गुजर गई। महज़ 12 साल के उम्र में मां का आंचल छीन जाने का गम वह भूल नहीं सका की घर के एकलौते कमाऊ पिता निरंजन रजवार को लकवा मार दिया और वे शारीरिक रूप से बेबस और लाचार हो गए। अभिलाष ने हिम्मत से काम लिया। अभिलाष की भाभी और चाची ने उसके लालन पालन में सहयोग की। जैसे वह समझदार होने लगा धीरे-धीरे अपने पढ़ाई के साथ पिता की सेवा और घास-फूस एवं लड़की चुनकर लाने के बाद खुद से खाना भी बनाता था।
रात में ढिबरी जलाकर करता था पढ़ाई
काफी संघर्ष से थके हुए शरीर में भी प्रतिदिन 8 – 9 घंटे तक मिट्टी के घर पर खटिया में बैठकर अपना पढ़ाई जारी रखा। रात में ढिबरी जलाकर अध्ययन करता था। अभिलाष के पढ़ाई में निजी शिक्षा केंद्र के संचालक देव मुखर्जी और डी.के. शर्मा का साथ मिला। इधर अभिलाष के इस सफलता पर उसके स्कूल के शिक्षक, उसे मार्गदर्शन करने वाले अभिभावक और उसके सहपाठी गर्व कर रहें हैं। अभिलाष रजवार का ख़्वाब ऊंचा हैं राष्ट्र और समाज के लिए कुछ बेहतर कर गुजरने की भरपूर क्षमता इसमें विद्यमान है।
जीवन में सफलता के मुकाम को हासिल करना चाहता है
अभिलाष जीवन में सफलता के मुकाम को हासिल करना चाहता है। समाज के सक्षम लोगों को ऐसे होनहार और जरूरतमंद विद्यार्थी को आगे बढ़ाने में खुलकर मदद करनी चाहिए। वाकई समाज के ऐसे होनहार विद्यार्थी की नगण्य साधन और सुविधा के बाबजूद यह सफलता समाज के लिए प्रेरक है और उनकी यह सफलता की कहानी समाज के ऐसे अन्य गुदड़ी के लाल को आगे बढ़ने को प्रेरित करने में सकारात्मक भूमिका निभाएगा।