माओवादियों के गढ़ के रूप में ख्यात रहा रांची-जमशेदपुर रोड का तैमारा घाटी रहस्यमई घटना को लेकर चर्चा में है। यहां से गुजरने वाले लोगों के मोबाइल की घड़ी का समय बदल जा रहा है, कुछ देर यानी एक-दो मिनट के लिए। समय डेढ़-दो साल आगे बढ़ जा रहा है। तारीख और समय में भी परिवर्तन हो जा रहा है। पहले से अपने रहस्य के लिए चर्चा में रहा तैमारा घाटी अब इस रहस्य को लेकर चर्चा में है। झारखंड के प्रख्यात पर्यावरणविद नितीश प्रियदर्शी ने इस मसले पर फेसबुक पर पोस्ट डाला है। जिसपर अनेक लोगों की प्रतिक्रिया और उनके अनुभव सामने आ रहे हैं।
फ़ोन को ऑन किये तो तारीख देख के चौंक गए
प्रियदर्शी ने अपने पोस्ट में लिखा है ”कुछ दिन पहले मेरे मित्र Sanjay Bose जी ने एक घटना की जानकारी मुझे दी जो उनके साथ इस घाटी में घटी। उनका कहना था की रांची टाटा रोड में रामपुर से बुंडू रोड में उनको एक फ़ोन आया। वो कार चला रहे थे इसलिए फ़ोन नहीं उठाये। ये घटना 11 जनवरी 2022 की है। जब वो दुबारा फ़ोन करने के लिए फ़ोन को ऑन किये तो तारीख देख के चौंक गए। उसमे तारीख था अगस्त 17, 2023 , और समय था शाम का 3:36 यानि ढेड़ साल आगे के समय से ये फ़ोन आया। उसके बाद जितने भी कॉल आये उसमे तारीख सही थी बस उसी फ़ोन की तारीख 2023 की थी। आज भी मिस काल में वो नंबर सब से ऊपर ही रहता है। ऐसी घटना सिर्फ उनके साथ नहीं हुई उन एक मित्र के साथ भी हुई।
स्ट्रीट लाइट हमेशा flicker यानि कांपती है
दूसरी घटना दो दिन पहले की है, जब एक NGO में काम करने Kamal Kishore Singh ने मुझे सुनाई। उसका कहना था जब वो बुंडू टोल ब्रिज पार कर के रात को 8 बजे रांची आ रहे था तो तैमारा घाटी में उनके फोन पे एक मैसेज आया कि मोबाइल के समय और तारीख को ठीक कीजिए। वो मैसेज देख के चौंक गए। तारीख था 25 जनवरी 2024 और समय था सुबह का 9: 06 मिनट। यहां भी लगभग ढेड़ साल का अंतर। ये गड़बड़ी सिर्फ दो मिनट तक रही फिर समय और तारीख अपने आप ठीक हो गई। जब तक और लोग अपना फ़ोन चेक करते वो स्पॉट पार कर चुके थे। ये भी पता चला जहां यह घटना हुई वहां की स्ट्रीट लाइट हमेशा flicker यानि कांपती है। इनलोगों की कार की स्पीड भी ज्यादा नहीं थी।
ये मान भी लें की ये फ़ोन की गड़बड़ी थी
अगर हमलोग ये मान भी लें की ये फ़ोन की गड़बड़ी थी तो ये हर जगह होनी चाहिए सिर्फ उसी स्पॉट पे क्यों? क्या वहां कोई चुम्बकीय विकिरण है जो मोबाइल को प्रभावित करती है ? या फिर कोई काल और समय का मामला है ? इसको आप ऐसे भी समझ सकते हैं की आप कोई नए जगह पर गए हों तो आपको लगेगा की जैसे इस स्थान पर पहले भी आ चुके हैं।
या किसी नए व्यक्ति से आप मिलते हों तो आपको लगेगा की आप पहले भी उससे मिल चुके हैं। काल और समय के रहस्य पे आज भी शोध हो रहा है। वैसे भी तैमारा घाटी के रहस्य पे बहुत सारी कहानियां social websites पे हैं। मैंने उनलोगो को सलाह दी है की फ़ोन पे आये हुए तारीख को कहीं लिख ले और आने वाले उस समय में क्या होता उसके होने का इंतज़ार करें।”
लोगों ने क्या कहा
उनके पोस्ट पर बुंडू के रहने वाले डॉ देवांशु चक्रवर्ती ने टिप्पणी की है ”हमारा घर इसी इलाका बुंडू में है और हमलोग काफी समय से तैमारा घाटी से आना जाना करते रहे हैं। वहां ऐसा कई बार हुआ है नेटवर्क के कारण।” वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार ने लिखा है कि तैमारा घाटी में नहीं रांची की ओर बढ़ने पर जहां चर्च और स्कूल है वहां पर गूगल घड़ी का समय और डेट बदल जाता है। ब्रांड इमेज के प्रोप्राइटर सुधीर शर्मा लिखते हैं कि कई बार मैंने भी महसूस किया है। मुझे लगता था कि नेटवर्क का इश्यु है। रिसर्च का विषय है।
स्पीड बढ़ाने से भी नहीं बढ़ रही थी
रुद्रा ग्रुप ऑफ कंपनी के सीईओ अविनाश मिश्र ने लिखा कि ”एक स्वानुभव बता रहे हैं, हमलोग रात में करीब एक बजे इसे क्रॉस कर रहे थे, करीब एक वर्ष पूर्व। उस समय इस घाटी में हमारी गाड़ी अचानक स्लो हो गई। स्पीड बढ़ाने से भी नहीं बढ़ रही थी। हमने हमने फिर वापसी की। करीब दो बजे भी सेम यही हुआ।”
आरएन मेहता ने टिप्पणी की है कि मेरे साथ भी बई दफा ऐसा हुआ है लेकिन मैंने कभी नोटिस नहीं लिया यह सोचकर कि नेटवर्क के कारण हुआ होगा।
ललिता सोनी ने लिखा कि हमारे साथ भी होता है हरबार। विकास प्रसाद ने टिप्पणी की है कि तीन माह पहले मेरे साथ भी यह घटना घटी। दोपहर दो बजे का समय रहा होगा, मैं देवड़ी मंदिर से लौट रहा था अचानक मेरे कार ने एक्सीलेटर लेना बंद कर दिया। मुझे लगा मेरा क्लच प्लेट खराब हो गया। और मैं फिर किसी तरह से रांची पहुंचा। मेरी गाड़ी वहीं खराब हुई। एक स्थानीय अखबार के संपादक सोमनाथ आर्य ने लिख ” कुछ लोगों का मानना है कि यह अंतरिा और धरती का एक ब्रिज है। जहां से कई रहस्य खुल सकते हैं। यह पृथ्वी का चुबकीय केंद्र है। बहरहाल पूरा प्रकरण चर्चा में है और किसी गंभीर वैज्ञानिक जांच की मांग कर रहा है।