राजधानी रांची का प्रसिद्ध और ऐतिहासिक जगन्नाथपुर रथ मेला कल से शुरू हो चुकी है। भगवान जगरनाथ बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के रथ यात्रा कर मौसी बाड़ी पहुंचने और 10 दिन के पश्चात मुख्य मंदिर मे वापस होने तक रांची के धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर परिसर के आसपास के क्षेत्रों और मौसी बाड़ी तक मेला लगा रहेगा। श्रद्धालु 10 दिनों तक भगवान के दर्शन मौसी बाड़ी में करेंगे इस जगन्नाथ मेले में कई धार्मिक परंपराएं भी देखी जाती है।
झारखंड के पारंपरिक हथियार तीर धनुष गुलेल की खरीद बिक्री भी होती है।
मान्यता है कि रथ मेला लगने से 1 साल पहले तक जिस नव दंपति की विवाह संस्कार हुआ है, उनका सेहरा मोर यथाशक्ति दान देकर वहां दे दिया जाता है. इस मेले में घरेलू और पारंपरिक वस्तु की खरीद बिक्री भी जोरों पर होती है झारखंडी वाद्य यंत्र ढोल मांदर के बिक्री के साथ खरीदार भी देखे जाते हैं। झारखंडी परंपरागत मिठाई की मांग भी बहुत रहती है। झारखंड के पारंपरिक हथियार तीर धनुष गुलेल की खरीद बिक्री भी होती है। घरेलू काम में आने वाले औजार के साथ अस्त्र शस्त्र की भी बिक्री की जा रही है। वर्षा ऋतु का समय होने के कारण मछली पकड़ने का जाल भी मिल रहा है मेले में भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के खासा इंतजाम किए गए हैं।