झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र अनिश्चित काल के लिए1 दिन पहले समाप्त हो गया। विपक्ष के हंगामे के कारण निर्धारित समय से एक दिन पहले ही विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चिकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि लोकतंत्र की मर्यादा को बनाये रखने के लिए और जो बार-बार ऐसे सदन की कार्यवाही में व्यवधान पैदा किया जा रहा था, ऐसे में सदन की गरिमा को बचाये रखने के लिए अनिश्चितकाल के लिए सदन को स्थगित कर रहा हूं।
सत्र भले ही छोटे हैं लेकिन एक सार्थक सत्र के रूप में सत्र रहेगा
स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि यह सत्र भले ही छोटे हैं लेकिन एक सार्थक सत्र के रूप में सत्र रहेगा। राज्य में अल्प वर्षा होने के कारण राज्य के अंदर में खेती नहीं हो पाई है और खेती और पाने कारण सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न होने की प्रमुख संभावना है। प्रबल संभावना है। और ऐसे कई जन समस्या था जो सदन के अंदर चर्चा होने के लिए आहूत की गई थी। लेकिन सदन में एक दल के सदस्यों का जो व्यवहार था या आप लोगों ने भी देखा और उस व्यवहार से आहत होकर के हमने 4 सदस्यों को निलंबित करना पड़ा।
निलंबन वापस मैंने जिस अवधि के के लिए किया था उसके पूर्व से ही हमने निलंबन वापस भी कर दिया। निलंबन वापस करने के समय में मुझे उम्मीद था कि हो सकता है कि अब सदन का काम सुचारू रूप से चलेगा। लेकिन जैसे ही लेकिन सदस्यों ने सदन में प्रवेश किया हमें लगा कि माननीय सदस्यों का व्यवहार परिवर्तन नहीं हुआ है और जो सदन का स्वरूप है।
सदन हास्यास्पद बनते जा रहा है
जनमानस के रूप में सदन का स्वरूप चल रहा है देश के अंदर देश के बाहर जो भी जो लोग आप देखते हैं वह हमें लगता है कि हमें आपके मन में निश्चित रूप से एक बात आता होगा कि सदन हास्यास्पद बनते जा रहा है। यह सदन हास्यास्पद बने यह मैं नहीं चाहता हूं । आपने देखा होगा कि एक नई मेंबर शिल्पी नेहा तिर्की सदन में आई और जिस दिन मेडिसन स्पीच के अंदर अपना अनुभव शेयर किया हम तमाम माननीय सदस्यों को उनके सब स्पीच को सदन के माननीय सदस्यों को आत्मसात करना पड़ेगा।
मैं नहीं कहना चाहता हूं मुझे सदन का कार्यवाही देखने के बाद एक शब्द का इस्तेमाल किया जो मैं नहीं करना चाहता हूं । हमको बहुत ही खराब लगा इसलिए निरंतर सदन का कार्यक्रम को हास्यास्पद का बनाना बना देना। हम उचित नहीं समझते हैं इसलिए आहत मन से दुखी मन से सदन को 1 दिन पूर्व ही साइन डाई करने का निर्णय निर्णय होने का मजबूर लेना पड़ा।