बिहार में नई सरकार के गठन के बाद अब नई चुनौती विधानमंडल के नेताओं का चयन करना है। दोनों सदनों में एक-एक जदयू-राजद ने आपस में बांट लिए हैं। राजद को विधानसभा अध्यक्ष का पद मिला है तो विधान परिषद में जदयू का सभापति होगा। विधानसभा अध्यक्ष पद पर तो अवध बिहारी चौधरी का नाम लगभग तय है। लेकिन असली माथापच्ची विधान परिषद के सभापति को लेकर है।
तीन नाम सामने, देवेश का पलड़ा भारी
विधान परिषद के वरिष्ठतम सदस्यों में दो नाम आते हैं। दोनों जदयू से ही हैं। इनमें एक हैं देवेश चंद्र ठाकुर और दूसरे हैं दिनेश सिंह। लगातार विधान परिषद में ये दोनों चुने जाते रहे हैं। विधान परिषद में इनका कार्यकाल 20 वर्षों का हो चुका है। देवेश ठाकुर ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, जबकि दिनेश सिंह राजपूत हैं। इससे पहले गुलाम गौस और रामवचन राय का भी नाम सभापति के लिए आ रहा था। लेकिन नई परिस्थितियों में देवेश ठाकुर का पलड़ा भारी लग रहा है।
ब्राह्मणों को महत्व देने की कोशिश!
नीतीश सरकार के नए मंत्रिमंडल में सिर्फ एक ब्राह्मण संजय झा को जगह मिली है। राजद या कांग्रेस में से किसी ने ब्राह्मणों को मंत्री नहीं बनाया है। ऐसे में नीतीश कुमार इन दोनों दलों के प्रति ब्राह्मण समुदाय की नाराजगी को भुनाना चाहेंगे। देवेश चंद्र ठाकुर के सभापति बनने से इस दिशा में जदयू को बढ़त हासिल होगी।
देवेश की अपनी नाराजगी भी दूर होगी
पूरे 20 वर्षों से देवेश चंद्र ठाकुर MLC हैं। लेकिन उनकी ख्वाहिश अब दिल्ली जाने की है। कई बार ऐसे मौके आए हैं जब उन्होंने राज्यसभा नहीं भेजे जाने पर नाराजगी जाहिर की है। पार्टी छोड़ने तक की बात कर दी है। जदयू ने उन्हें दिल्ली तो नहीं भेजा, लेकिन सभापति बनाकर कुछ भरपाई जरूर हो सकती है। हालांकि इस पर अभी तक आधिकारिक निर्णय नहीं हुआ है। विधानमंडल का दो दिनों का विशेष सत्र 24 अगस्त से शुरू होगा। इसमें दूसरे दिन 25 अगस्त को सभापति का चुनाव होगा। अभी कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह हैं, जो भाजपा से हैं।