InsiderLive: ओमीक्रान कोरोना विषाणु का नया स्वरुप है। इस आपदा को लेकर हमारी लापरवाही इस खतरे को कई गुना बढ़ा सकती है। करीब दो साल हो गए जब कोरोना विषाणु ने देश दुनिया को अपनी गिरफ्फत में लेना शुरू किया था। कोरोना विषाणु की प्रकृति जैसी देखी गई और समय-समय पर रूप में लगातार बदलाव होते गए, इससे यह अनुमान पहले से ही था कि आने वाले समय में इसका खतरा हमारे ऊपर कहर बरपा सकता है।
कोरोना ने अपने शुरूआती साल में तथा उसके अगले साल में जैसे पसरा उससे भय का माहौल कायम हो गया था। लेकिन हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार गिरावट से राहत की सांस लेने की उम्मीद जताई जा रही थी। उम्मीद को मजबूती मिलने लगी थी कि कोरोना विषाणु अब कमजोर पड़ने लगा है और हम अपने सामान्य जीवन को जीने के लिए फिर से खड़े होने लगे हैं। हमारे इस उम्मीद को देश दुनिया भर में बड़े पैमाने पर होने वाले टीकाकरण ने मजबूती प्रदान करने में अहम् भूमिका निभा रही है। लेकिन corona virus का नया stren Omicron चिंता को बढ़ा रहा है। फिर से कोरोना की पहली और दूसरी लहर की त्रासदी की यादें ताजा होती जा रही है।
वर्तमान समय में कोरोना के नए रूप को लेकर दुनिया पूरी तरह से सतर्कता बरतने के तैयार है। हमारी सरकार भी इस आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश दे रही है कि राज्य अपने हर स्तर पर सावधानी बरते तथा कोरोना से बचाव के जो-जो उपाय है उसका सख्ती से पालन करे और करवाए। जैसे कि मास्क पहनना, साफ-सफाई। केंद्र ने राज्यों को यह भी कहा है कि परीक्षण बढ़ाने तथा संक्रमित मरीजों के इलाज सहित टीकाकरण की गति तेज करने का काम करें। साथ ही विदेशों खास कर संक्रमण फैले देशों से आने वाले यात्रियों पर नजर रखने का भी निर्देश दिया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से अपील कि है कि Covid-19 के नए स्वरूप Omicron की सक्रियता को कम करने के लिए सक्षम उपायों का पालन करने सहित, टीकाकरण का दायरा बढ़ाने पर जोर दें।
क्या है Corona का नया Stren, Omicron
दक्षिण अफ्रीका में पहचान में आई कोरोना के इस नए स्ट्रेन का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 रखा गया है। डब्ल्यूएचओ ने इसे ग्रीक वर्णमाला का 15वें अक्षर के आधार पर इसे ओमिक्रोन नाम दिया है। फिलहाल Omicron के खतरे का आकलन किया जा रहा है। और ब्रिटेन सहित यूरोपीय देश, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बांग्लादेश, बोत्सवाना, चीन, मारीशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हांगकांग और इजराइल आदि से दूसरे देशों में जाने वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है।
इस सतर्कता का कारण यह माना जा रहा है कि शुरुआती दिनों में कोरोना विषाणु के प्रसार के सबसे जरूरी पहलू की अनदेखी करने के चलते इसके संक्रमण में विस्तार देखा गया था। इसीलिए पूरी दुनिया का पहला बचाव कदम यहीं है की किसी भी तरह से इसके फैलाव पर रोक लगायी जाय।
दक्षिण अफ्रीका की डॉक्टर एंजेलिक कोएत्जी के अनुसार ओमीक्रोन वैरियंट से संक्रमित रोगियों में बेहद हल्के लक्षण देखे गए हैं। कमजोर लोगों के लिए बीमारी की गंभीरता को जानने से पहले हमें और अधिक शोध की आवश्यकता है। यह चिंता का विषय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इस वायरस को लेकर चिंतित है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास नहीं है डेटा
विश्व स्वास्थ्य संगठन की बात करें तो WHO के पास इस बात का पर्याप्त डेटा नहीं है कि Covid-19 का ओमीक्रोन वैरियंट, डेल्टा वन की तुलना में कितना अधिक खतरनाक है। डब्लूएचओ ने ओमीक्रोन पर वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर भी शंका जताई है। डब्लूएचओ ने यह स्पष्ट करते हुए कहा है कि ओमीक्रोन स्ट्रेन से संक्रमित लोगों को ज्यादा खतरा है कि नहीं यह अभी तक शोध का विषय बना हुआ है और हम इस ओर कोई संतोषजनक उपलब्धि हासिल नही कर पाए हैं। हालाँकि WHO की Technical Experts टीम यह शोध कर रही है कि कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मौजूदा टीकों और अन्य स्वच्छता उपायों की प्रभावशीलता को कितना हद तक प्रभावित कर सकता है।
अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि डेल्टा समेत अन्य वैरियंट की तुलना में Omicron अधिक संक्रामक है। हालाँकि दक्षिण अफ्रीका में Omicron वैरियंट से संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ तो है लेकिन वैज्ञानिक इस बात को लेकर स्टडी कर रहे हैं कि क्या यह महामारी ओमीक्रोन वैरियंट के कारण है या फिर इसका कोई दूसरा कारण है।
टीकाकरण कितना कारगर?
डब्लूएचओ ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि डेल्टा सहित अन्य वैरियंट की तुलना में ओमीक्रोन के संक्रमण से अधिक खतरा है या नहीं। वैसे दक्षिण अफ्रीका के अस्पतालों में भर्ती होने के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि संक्रमितों की संख्या-दर बढ़ रही है। इसीलिए ऐसा माना जा सकता है की ओमीक्रोन वैरियंट संक्रमित लोगों की कुल संख्या में वृद्धि का कारण हो सकता है।
जाहिर है, यह कोरोना के कहर के अनुभवों की सीख है और इस विषाणु की प्रकृति को देखते हुए यह अच्छा भी है कि सावधानी बरती जाए। लेकिन समस्या यह आ रही है कि इस आपदा की प्रकृति और विनाश को देखने के बाद भी आम लोगों के बीच अपेक्षित स्तर पर सजगता देखने को नहीं मिल रही है। सरकार और स्वास्थ्य महकमा अपनी तरफ से सावधानी बरतने की अपील करती तो है लेकिन उस अपील का क्रियान्वयन धरातल पर नहीं उतर पाता है। आम लोगों की लापरवाही को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। टीकाकरण की भूमिका कोरोना पर काबू पाने में कुछ हद तक ठीक है लेकिन इससे यह मान लेना कि कोरोना कमजोर या खत्म हो गया है जोखिम को न्योता देना होगा।
Story By : – Abhishek Bajpayee