अंकिता हत्याकांड में मामले में जांच अधिकारी को हटा दिया गया है। दरअसल, एसडीपीओ नूर मुस्तफा पर पक्षपात और आरोपी शाहरुख को बचाने का आरोप लगा था। जिसके बाद केस की जांच से हटा दिया गया है। हालांकि, उनके खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया गया है। दुमका के एसपी अंबर लकड़ा ने कहा कि एसडीपीओ नूर मुस्तफा को मामले की निगरानी से हटा दिया गया है। उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। अब मामले की जांच निरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी करेंगे, जिसकी निगरानी एसपी स्तर के अधिकारी करेंगे।
एसडीपीओ नूर मुस्तफा ने अंकिता को बालिग बताया था
इससे पहले बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने अंकिता को नाबालिग बताते हुए पोक्सो कानून के तहत केस दर्ज करने को कहा है। समिति ने कहा कि छात्रा की 10वीं के मार्कशीट के मुताबिक उसकी उम्र 16 साल के आसपास थी और वह बालिग नहीं थी जैसा कि पुलिस ने दावा किया। आरोप था कि एसडीपीओ नूर मुस्तफा ने अंकिता को बालिग बताया था।
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करके कहा था
पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करके कहा था, ‘खबरों के मुताबिक़ दुमका में अंकिता को जलाये जाने के मामले में वहां के डीएसपी नूर मुस्तफा ने शुरू से ही अभियुक्त शाहरुख हुसैन को बचाने का प्रयास किया, एफआईआर में नाबालिग की जगह बालिग लिखवा दिये जाने की बात खबरों में आ रही है।’