चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र में दो दिन पूर्व प्रतिबंधित भाकपा माओवादी नक्सलियों के साथ सुरक्षाबलों के हुए भीषण मुठभेड़ के बाद पुलिस पूरी तरह एक्शन मोड में है। मुठभेड़ के दौरान चतरा-पलामू सीमा पर स्थित वीरमाटकुम जंगल में रीजनल कमेटी सदस्य मनोहर गंझू दस्ते को धूल चटाने के बाद उत्साह से लबरेज पुलिस और सीआरपीएफ के जवान अब लातेहार के बूढ़ा पहाड़ की तरह चतरा में नक्सलियों के सेफ जोन माने जाने वाले कौलेश्वरी जोन में माओवादियों के सफाया में जुट गए हैं। एसपी राकेश रंजन के नेतृत्व में सीआरपीएफ 190 बटालियन के कमांडेंट मनोज कुमार व एसडीपीओ अविनाश कुमार दल बल के साथ अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर नक्सलियों के मांद में घुस चुके हैं। यूं कहें तो माओवादियों के चंगुल से चतरा को मुक्त कराने को ले पुलिस अब पूरी तरह कमर कस चूकि हैं।
बदनाम चतरा की पहचान बदलने की कवायद शुरू
नक्सल गढ़ के रूप में बदनाम चतरा की पहचान बदलने की कवायद शुरू हो चूकि है। झारखंड-बिहार सीमा पर स्थित नक्सल गढ़ कौलेश्वरी जोन से भाकपा माओवादी नक्सलियों का पूरी तरह सफाया को ले पुलिस ने ऑपरेशन कौलेश्वरी लॉन्च कर दिया है। जिसकी सफलता को लेकर अत्याधुनिक हथियारों से लैस अधिकारियों और जवानों की फौज को जंगलों में भेजा गया है। इस पूरे अभियान का न सिर्फ नेतृत्व बल्कि मॉनेटरिंग भी पुलिस कप्तान राकेश रंजन खुद कर रहे हैं। जिसमे उनका साथ सीआरपीएफ कमांडेंट समेत पुलिस और सीआरपीएफ 190 बटालियन के शीर्ष अधिकारी दे रहे हैं।
इतना ही नहीं जंगलों में खाक छानकर नक्सलियों को ढूंढ रहे जवान अब तक विकास से महरूम इलाकों में लोगों की उम्मीद भी बनते जा रहे हैं। नक्सल गतिविधि के कारण जिन इलाकों में अब तक सरकार की विकास योजनाएं नहीं पहुंच सकी थी। वहां घने जंगलों और पहाड़ों को काटकर चकाचक सड़क निर्माण के अलावे मूलभूत सुविधाएं बहाल करने की दिशा में भी सुरक्षा बलों ने सार्थक पहल की है।
सीआरपीएफ का अस्थाई कैंप भी स्थापित
कौलेश्वरी जोन के सबसे प्रभावित इलाके गड़िया, अमकुदर व सहोर समेत एक दर्जन गांवों में सुरक्षाबलों की उपस्थिति में सड़कों का निर्माण कार्य भी शुरू करा दिया गया है। साथ ही संवेदको की सुरक्षा और शत-प्रतिशत विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने को लेकर गड़िया में सीआरपीएफ का अस्थाई कैंप भी स्थापित कर दिया गया है। ताकि न सिर्फ ईलाके से नक्सलियों का पूरी तरह सफाया हो सके बल्कि आम लोगों को विकास योजनाओं से जोड़ा जा सके। पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन ने कहा है कि चतरा को पूरी तरह माओवाद मुक्त जिला बनाने का संकल्प पुलिस ने लिया है। किसी भी परिस्थिति में समाज के उत्थान और विकास में बाधक नक्सलियों को बख्शा नहीं जाएगा।
एसपी व कमांडेंट, पथरीले रास्ते पर खुद चलाई बाईक
एसपी ने कहा कि माओवादियों के एक दस्ते का लंबे समय के बाद झारखंड-बिहार सीमावर्ती इलाकों में विचरण करने की सूचना प्राप्त हो रही थी। वह इस इलाके में छोटी बड़ी घटना को अंजाम देकर फिर से अशांति ना फैला सके इसे लेकर सीआरपीएफ और जिला बल के जवानों को जंगलों में जाकर उनके दांत खट्टे करने का निर्देश दिया गया है। अधिकारी व जवान पगडंडियों के सहारे नदी-नाला पार कर पथरीले रास्ते बाईक चलाकर गड़िया पहुंचे थे। एसपी ने कहा कि नक्सली किसी भी परिस्थिति में समाज और विकास के लिए बेहतर नहीं हो सकते। वे खुद को समाज और आम लोगों का हितैषी बताते हैं। लेकिन उनके कारण ही आज न सिर्फ विकास से महरूम है बल्कि योजनाएं भी धरातल पर नहीं उतर पाती।
नक्सलियों को चेताते हुए कहा है कि या तो वे हथियार डालकर पुलिस के आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाएं या फिर गोली खाने के लिए तैयार रहें। इधर पुलिसिया अभियान के बाद नक्सलियों पर नकेल से ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है। ग्रामीणों के दिलों में भी अब क्षेत्र के विकास के साथ-साथ शांति की उम्मीद जगने लगी है।