बिहार में महागठबंधन सरकार को बने दो महीना पूरा नहीं हुआ है। इस महागठबंधन के दो बड़े दल जदयू और राजद जैसे अलग ही राह चल रहे हैं। सरकार में राजद ने हिस्सेदारी तो अधिक ली लेकिन प्रशासनिक कार्यों से अधिक राजद का ध्यान सांगठनिक कार्यों पर है। यही नहीं राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी तो ऐसी बात बोल गए कि मामला गरमा गया है। अब जब इसका जवाब जदयू की ओर से दिया गया है तो महागठबंधन की दरार उभर कर सामने आ गई है।
नीतीश को आश्रम भेजना चाहते हैं शिवानंद
सक्रिय राजनीति में नीतीश का एक्जिट कब होगा, यह अभी किसी की सोच में नहीं है। नीतीश 17 साल से बिहार की सत्ता चला रहे हैं। 2024 में उन्हें पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट किया जा रहा है। लेकिन बीच में ही शिवानंद तिवारी ने ऐसा बयान दिया है, जिसे नीतीश समर्थक कभी पसंद नहीं करेंगे। शिवानंद ने कहा कि 2025 में नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी छोड़ दें। तेजस्वी यादव को बिहार का सीएम बनाएं और खुद आश्रम चले जाएं।
‘आश्रम की जरुरत शिवानंद को’
नीतीश कुमार को आश्रम जाने की सलाह पर जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भड़क गए हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश जी अभी आश्रम नहीं खोलने वाले हैं। करोड़ों देशवासियों की दुआएं उनके साथ है, जो चाहते हैं कि नीतीश जी सत्ता के ऊंचे से ऊंचे शिखर पर रहते हुए बिहारवासियों के साथ देशवासियों की सेवा करते रहें। आश्रम की जरुरत शिवानंद तिवारी को है। उन्हें तलाश लेना चाहिए।
पहले भी शिवानंद-उपेंद्र के बयान में रहा है विरोधाभास
शिवानंद तिवारी और उपेंद्र कुशवाहा दोनों अलग अलग दल में तो हैं ही। दोनों के बयान दोनों दलों के मिलने के बाद भी विरोधाभास से भरे रहते हैं। बिहार में सीबीआई की एंट्री बैन करने के मुद्दे पर भी दोनों के बयान का विरोधाभास सामने आया था। शिवानंद बैन करना चाहते थे, उपेंद्र ने कह दिया कि ये तो सरकार का विषय है, पाटियों का नहीं।
खटपट के कई संकेत!
वैसे तो महागठबंधन की सरकार बनते ही नीतीश कुमार और तेजस्वी का अपनापन सभी देख रहे हैं। नीतीश कई मौकों पर तेजस्वी यादव को ही बिहार का भविष्य बताते दिख रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर बेगूसराय मामले में भाजपा को जवाब देने में जदयू एकदम अकेले रही। राजद की ओर से इस मामले में सक्रिय बयान नहीं आए। ऐसे में खटपट और असहजता के संकेत भी मिल रहे हैं।