बिहार नगर निकाय चुनाव को स्थगित किए जाने का मामला इस वक्त बिहार की राजनीति में अहम मुद्दा बना हुआ है। जेडीयू और बीजेपी एक दूसरे को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। जेडीयू,बीजेपी को आरक्षण विरोधी बताने में लगी है। वहीं बीजेपी, जेडीयू पर जानबूझ कर लापरवाही करने का आरोप लगा रही है। दरअसल पटना हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाई थी। जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग कलो चुनाव साथ्गित करना पड़ा। आज एक बार फिर से बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोला है।
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सुशील मोदी ने नीतीश से पूछा तीखा सवाल
बीजेपी के राज्य सभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का से सुझाव नहीं है कि विशेष आयोग का गठन किया जाए। बल्कि ये तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि यदि अतिपिछड़ी जाति को आरक्षण देना है तो उनके राजनीतिक पिछडेपन की जानकारी के लिए विशेष आयोग का गठन किया जाए। पटना हाई कोर्ट ने उसी आदेश को दोहराया है। उन्होंने नीतीश कुमार से सवाल करते हुए कहा कि नीतीश कुमार कह रहे कि सुप्रीम कोर्ट जाएंगे यदि सुप्रीम कोर्ट ने भी यही दिशा-निर्देश दिया तो वो आयोग बनाएंगे या नहीं? क्योकिं JDU के लोग कह रहे हैं की बीजेपी आयोग की मांग कर मामले को उलझाना चाहती है।
‘नीतीश के जिद का परिणाम भुगत रहा बिहार‘
सुशील मोदी ने ने नीतीश कुमार पर एक और सवाल दागा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बताएं की 4 फरवरी और 12 मार्च 2022 को बिहार के एडवोकेट जनरल ने ये राय दी थी कि नहीं की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आयोग का गठन किया जाए। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी कई पत्र लिखकर राज्य सरकार से कहा था कि आयोग का गठन किया जाना चाहिए। लेकिन नीतीश कुमार अपने जिद पर अड़े रहे। जिसका परिणाम बिहार भुगत रहा है। बिहार के अतिपिछड़े उम्मीदवारों का करोडों रूपया बर्बाद हुआ है। क्या इसकी क्षति पूर्ति के लिए नीतीश कुमार बजट में प्रावधान करेंगे?