केंद्र व राज्य सरकारें अति महत्वाकांक्षी आकांक्षी योजनाओं के तहत देश के कई जिलों का उत्थान करने को ले योजनाएं संचालित कर रही है। किंतु सूबे के चतरा जिला मुख्यालय से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित अनुसूचित जाति उन्नत ग्राम योजना के तहत ली गई ब्रम्हणा पंचायत विकास योजनाओं से पूरी तरह महरुम है। तथा यहां के लोग मूलभूत जैसी अनेक समस्याओं से आज भी जूझ रहे हैं और खासकर सड़कों की बात हम करें तो यहां के हालात काफी डरावने है।
भारत सरकार द्वारा आज देश में एक दूसरे शहरों की कनेक्टिविटी के लिए बनाई गई सड़कों के अलावा गांव स्तर पर भी सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। वही दूसरी ओर ब्रह्मन्ना गांव इसका अपवाद है। यहां सड़कों की सूरत देखकर आपका दिल दहल जाएगा और आप सोचने को विवश हो जाएंगे की ऐसी अवस्था में यहां के लोग अपना जीवन बसर कैसे कर रहे हैं।
मंत्री के गांव से मात्र 5 किमी की दूरी पर स्थित है
आप यह जानकर हैरत में पड़ जाएंगे कि झारखंड सरकार के श्रम नियोजन प्रशिक्षण सह कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता का गांव मात्र ब्रम्हणा गांव से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। बावजूद इस गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है और खासकर बरसात के दिनों में यहां के ग्रामीणों को जिला मुख्यालय आने अथवा जिला मुख्यालय से गांव जाने में 10 बार सोचना पड़ता है।
पैदल जाने आने में भी होती है काफी दिक्कत
ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव में वाहनों अथवा मोटरसाइकिल का परिचालन तो दूर की बात है। पैदल जाने आने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर गांव में अगर किसी की तबीयत खराब हो अथवा डिलीवरी केस का मामला हो तो उसे वाहनों से अस्पताल तक पहुंचाना कदापि संभव नहीं होता और कई बार तो लोग दम तोड़ देते हैं।
इधर प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक भी यहां की हकीकत से इत्तेफाक रखते हैं तथा वह बताते हैं कि गांव में सड़क के निर्माण के लिए डीएमएफटी की राशि से अविलंब कार्य करवाया जाएगा। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को लिखा गया है।
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बहरहाल जिला मुख्यालय से सटे 12 गांवों का ब्रम्हणा ग्राम पंचायत का आजादी के 75 वर्षों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना एक बेहद चिंता का विषय है। जरूरत है आकांक्षी जिलों को मिल रही विकास योजनाओं की किरण यहां की ग्रामीण जनता को भी मिल पाती ताकि अनुसूचित जाति बहुल गांव के लोग भी एक सम्मान की जिंदगी गुजर बसर कर सकें।