आमतौर पर उपचुनावों पर राजनीतिक दल उतनी मेहनत नहीं करते, जितनी सामान्य चुनाव में होती है। लेकिन बिहार के उपचुनाव अलग ही उदाहरण पेश कर रहे हैं। गोपालगंज और मोकामा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। गोपालगंज सीट भाजपा के पास थी। तो मोकामा राजद के पास। संयोग है कि दोनों सीटों पर एक साथ उपचुनाव हो रहा है। भाजपा की कोशिश गोपालगंज का किला बचाने के साथ मोकामा में राजद को झटका देने की है। तो राजद की कोशिश मोकामा में जीत बुलंद रखने के साथ गोपालगंज में जीत का अधूरा ख्वाब पूरा करने की है। मोकामा राजद के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। क्योंकि 2020 में राजद ने ही यह सीट जीती थी।
मोकामा में राजद
मजबूत पक्ष : पिछले चार चुनावों से मोकामा में अनंत सिंह को कोई चुनौती नहीं मिली है। अनंत सिंह पहले जदयू में थे, तब भी जीते। 2015 के चुनाव में निर्दलीय लड़े तब भी जीते। 2020 में राजद से चुनाव लड़े तब भी जीते। इस बार राजद की उम्मीदवार अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी हैं।
कमजोर पक्ष : जिस अनंत सिंह के बूते राजद मोकामा जीतने का प्रयास कर रही है, वे जेल में हैं। जेल जाने के कारण ही इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है।