खुद के नाम माइनिंग लीज लेने के मामले में अब क्या होगा हेमन्त सोरेन का। ज्यादा फजीहत राज्यपाल रमेश बैस की हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने हेमन्त सोरेन द्वारा खुद के नाम माइनिंग लीज लेने के मामले में शिवशंकर शर्मा की याचिका को सुनने योग्य नहीं करार दिया। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया उस पर क्या चुनाव आयोग या राज्यपाल आगे सुनवाई, कार्रवाई कर सकेंगे। इसी मसले में हेमन्त सोरेन की विधानसभा से सदस्यता समाप्त होने, सरकार पर संकट को लेकर झारखंड की राजनीति पिछले 25 अगस्त से गरमाई हुई है।
राज्यपाल रमेश बैस का कमेंट वायरल हो गया
राज्यपाल की फजीहत चुनाव आयोग से उनके सेकेंड ओपिनियन लेने को लेकर भी हो रही है। खुद के नाम माइनिंग लीज यानी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में चुनाव आयोग ने विधानसभा के हेमन्त सोरेन की सदस्यता के मसले पर 25 अगस्त को ही विशेष दूत से अपना मंतव्य राजभवन को भेज दिया। उसके दो माह के बाद 27 अक्टूबर को एक टीवी चैनल में राज्यपाल रमेश बैस का कमेंट वायरल हो गया जिसमें वे कह रहे हैं कि झारखंड में एकाद एटम बम फूट सकता है। यह भी कि चुनाव आयोग से उन्होंने हेमन्त के मसले पर सेकेंड ओपिनियन की मांग की है।
सवाल यह है कि चुनाव आयोग के मंतव्य पर दो माह की चुप्पी के बाद राज्यपाल सेकेंड ओपिनियन की बात कहकर क्या संदेश देना चाहते थे। विधि विशेषज्ञ मानते हैं कि एक ही मसले पर चुनाव आयोग दूसरा मंतव्य कैसे दे सकता है। हां किसी बिंदु पर संशय हो, अस्पष्ट हो तो स्पष्टीकरण दे सकता है। मगर उससे भी गंभीर मसला यह है कि चुनाव आयोग को दूसरे मंतव्य को लेकर राज्यपाल का कोई पत्र ही नहीं मिला है। जबकि राज्यपाल को दूसरे मंतव्य की बात कहे भी 12 दिन हो गये।
ऱाज्यपाल के इरादों पर शक किया जाता रहा
एटम बम विस्फोट और दूसरे मंतव्य को लेकर यूपीए के नेता पहले से राज्यपाल पर हमलावर रहे। उनके इरादों पर शक किया जाता रहा। बंद लिफाफे की तरह लापता दूसरे मंतव्य के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनहित याचिका खारिज कर दिये जाने से राज्यपाल की फजीहत बढ़ सकती है। यूपीए नेताओं का आक्रमण तेज हो सकता है। इस मसले पर भाजपा नेता पहले से बैकफुट पर थे, अब राजभवन भी। सवाल यह है कि दूसरे मंतव्य को लेकर अपने पत्र और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्यपाल क्या करते हैं समय बतायेगा। हेमन्त सोरेन सत्यमेव जयते का छोटा सा कमेंट करके अपनी भावना जाहिर कर चुके हैं। तो केंद्रीय एजेंसियों के इरादों को लेकर सोमवार को यूपीए के नेता अपना कड़ा विरोध जाहिर कर चुके हैं।
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25 अगस्त को आयोग का मंतव्य राजभवन पहुंचा
बता दें कि फरवरी महीने में ही भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन देकर हेमन्त सोरेन द्वारा खुद के नाम रांची के अनगढ़ा में माइनिंग लीज लेने का आरोप लगाते हुए विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त करने का आग्रह किया था। भाजपा की इस शिकायत को मंतव्य के लिए राज्यपाल ने चुनाव आयोग को भेज दिया जिस पर सुनवाई के बाद 25 अगस्त को आयोग का मंतव्य राजभवन पहुंचा। इस बीच हेमन्त सोरेन ने लीज सरेंडर कर दिया। झामुमो ने सफाई दी कि लीज सरेंडर किया जा चुका है, उससे एक छंटाक भी खुदाई नहीं हुई है। कोई कमाई नहीं हुई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि माइनिंग लीज ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में नहीं आता।
वहीं 31 अक्टूबर को हेमन्त सोरेन ने अपने वकील के माध्यम से चुनाव आयोग को पत्र भेजकर कह दिया कि मेरा पक्ष पूरी तरह सुने बिना राज्यपाल के दूसरे पत्र पर मंतव्य न दे। इधर आयोग के मंतव्य के बाद राजभवन की खामोशी के कारण आयोग और राजभवन चुनावी अखड़ा बना रहा।