कुढ़नी उपचुनाव के चुनावी शतरंज की बिसात बिछ चुकी है। सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने में लगी हुई है। हर पार्टी की तरफ से बहुत सोच समझकर प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा गया है। देखा जाए तो कुढ़नी का असल मुकाबला महागठबंधन और बीजेपी के बीच ही है। बाकी दो पार्टियां ऐसी हैं जो चुनाव नतीजों को काफी ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं। इसमें पहला मुकेश सहनी की पार्टी VIP है वहीं दूसरी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM है। 5 दिसंबर को कुढ़नी में वोटिंग होनी है। सियासी गलियारे में इस चुनाव को 2024 का सेमीफाईनल कहा जा रहा है। इसलिए सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। लेकिन आंकड़ों के जरिए इस बात को समझने की जरुरत है की कुढ़नी में किसका पलड़ा भारी है।
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जातीय समीकरणों को साधने की तैयारी
बिहार हो और जातीय समीकरणों को ध्यान में ना रखा जाए ये भला कैसे हो सकता है। सभी पार्टियों ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर ही अपने उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है। महागठबंधन की तरफ से जेडीयू के नेता मनोज कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारा गया है। कुढ़नी में कुशवाहा समाज के 25 हजार वोटर हैं। चूँकि राजद भी जेडीयू के साथ है तो ऐसे में राजद के कोर वोटर मुस्लिम और यादव का वोट भी जेडीयू उम्मीदवार के पक्ष में जाने की संभावना है। बता दें कि कुढ़नी में 30 हजार यादव और 45 हजार मुसलमान वोटर हैं। पर महागठबंधन के लिए सबसे बड़ी टेंशन AIMIM उम्मीदवार गुलाम मुर्तुजा अंसारी है। क्योंकि मुसलामानों का वोट उनकी ओर ट्रांसफर होने से सबसे बड़ा नुकसान महागठबंधन को ही होगा।
वहीं बीजेपी की तरफ से वैश्य समुदाय से आने वाले केदार गुप्ता को उमीदवार बनाया गया है। जिसके जरिए बीजेपी कुढ़नी के 35 हजार वैश्य वोटरों को साधने की तैयारी में है। केदार गुप्ता की पकड़ भुमिहार और सहनी समज पर भी है। लेकिन बीजेपी का खेल बिगाडने के लिए VIP की तरफ से भूमिहार जाती के उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है। VIP ने नीलाभ कुमार को उम्मीदवार बनाया है। जिसके जरिए VIP की नजर 32-35 हजार भूमिहार वोटरों पर है। वहीं सहनी और रविदास समाज के भी 48 हजार वोटर कुढ़नी में है। जिन्हें VIP अपना कोर वोटर बताती है। अब देखन दिलचस्प होगा कि VIP, बीजेपी को कितना नुसकान पहुंचा सकती है।
पिछले चुनावों का हाल
ऐसा दूसरी बार है जब जेडीयू और बीजेपी के प्रत्याशी कुढ़नी में आमने सामने हैं। इससे पहले साल 2015 में जेडीयू और बीजेपी के प्रत्याशी के बीच लड़ाई हुई थी। उस समय भी यही दोनों उम्मीदवार मैदान में थे। पर बाजी बीजेपी उम्मीदवार केदार गुप्ता ने मार ली। उस वक्त भी महागठबंधन की तरफ से जेडीयू के नेता मनोज कुशवाहा ने ही चुनाव लड़ा था। केदार गुप्ता को कुल 73,227 और जेडीयू के नेता मनोज कुशवाहा को कुल 61,657 मिला था। वहीं साल 2020 में जब जेडीयू भाजपा साथ थे तब राजद और बीजेपी उम्मीदवार के बीच में लड़ाई हुई थी। उस वक्त राजद उम्मीदवार अनिल सहनी चुनाव जीते थे। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार केदार गुप्ता को ही हराया था। अनिल सहनी को 78,549 वोट मिले थे। वही केदार गुप्ता 77,837 वोट मिले थे।