Ayodhya Babari Masjid Vidhwans 6 December 1992: 6 दिसंबर 1992 को कुछ ही ऐसा हुआ जिसने देश में हिंदुत्व की जमीन को समतल कर दिया। तमाम कंकर पत्थर कारसेवक अपने साथ ले गए और बाबरी मस्जिद के मलबे पर नए हिंदुत्व की राजनीति का प्रादुर्भाव हुआ। आज 30 साल बाद भी यह घटना देश की राजनीति को प्रभावित करती है।
अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में आज ही के दिन 30 साल पहले माहौल कुछ अलग था। अयोध्या की गलियां कारसेवकों से फटी हुई थी। ‘जय श्री राम’, ‘मंदिर यहीं बनाएंगे’ जैसे नारे अयोध्या की गलियों में गूंज रहे थे। हर कोई अयोध्या के विवादित अस्थल तक पहुंचना चाहता था। प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार और देश की पीवी नरसिम्हा राव सरकार तब रामसेवकों की कारसेवा खत्म होने के भरोसे बैठी हुई थी। इंतजार कर रही थी कि वह खुद से लौट जाएं। कोई भी कारसेवकों पर गोली चलाने या उनको बलपूर्वक हटाने की कोशिश करता नहीं दिखा। यही कारण था, कारसेवक आगे बढ़ते रहे। विवादित स्थल तक पहुंचे। बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चलें और और फावड़े भी। आखिरकार बाबरी मस्जिद जमीन दोज हो गई हर एक पत्थर उठा ले जाएगा। लोगों ने अयोध्या के बाबरी मस्जिद परिसर को समतल कर दिया। टेंट में रामलला को विराजमान किया गया। इसके बाद सरकारी कार्रवाई शुरू हुई। कल्याण सिंह सरकार गिर गई। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया, लेकिन इन सबके बीच जो कुछ हुआ। उसने उत्तर प्रदेश समेत देश की राजनीति को पूरी तरह से बदल दिया। हिंदुत्व की राजनीति की आधारशिला बाबरी मस्जिद के मलवे पर तैयार हुई यह कहना गलत नहीं होगा। घटना के करीब 22 साल बाद देश में हिंदुत्व की वैशाखी पकड़े भारतीय जनता पार्टी केंद्र की सत्ता में आई और प्रधानमंत्री पद पर गुजरात से चलते हुए एक कट्टर हिंदुत्व छवि के नेता नरेंद्र मोदी विराजमान हो गए। इसके बाद से देश की राजनीति में कोई परिवर्तन अब तक नहीं हो पाया है।
काफी लोग अयोध्या में 6 दिसंबर की घटना को लेकर तरह-तरह की बात करते हैं। इसको लेकर हेमंत शर्मा ने अपनी किताब ‘युद्ध में अयोध्या’ में विस्तार से लिखा है। उन्होंने घटनाओं का समयवार चित्रण किया है, जिसको पढ़कर आप उस दिन की घटना के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं। आइए हम समझते हैं, 6 दिसंबर 1992 को क्या-क्या हुआ था?
6 दिसंबर कि सुबह 7:00 बजे पीएम नरसिंह राव ने विश्व हिंदू परिषद के नेता विनय कटियार से बात कर स्थिति का आकलन किया था। विनय कटियार ने उन्हें आश्वस्त किया था। सब ठीक होगा। कार सेवा प्रतीकात्मक होगी। 5 दिसंबर की कारसेवा का हवाला दिया था। सुबह 8:00 बजे विनय कटियार के घर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पहुंचे। अशोक सिंघल वहां पहले से मौजूद थे। कारसेवा को काबू में रखने की चर्चा हुई। इसके बाद 8:30 बजे के करीब विनय कटियार के घर पर ही मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का फोन आया। अनहोनी की आशंका से मुख्यमंत्री भी चिंतित थे। स्थिति को संभालने का अनुरोध किया गया।
फैजाबाद सर्किट हाउस में तत्कालीन डीएम, एसएसपी के साथ सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जर्वर तेजशंकर ने बैठक की। केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले ने आइटीबीपी के महानिदेशक से कहा कि वह केंद्रीय बलों को तैयार रखें। जैसे ही राज्य सरकार उनकी मदद मांगे तो केंद्र सरकार के औपचारिक आदेश का इंतजार किए बिना कूच करें। आईटीबीपी के महानिदेशक फैजाबाद में ही कैंप कर रहे थे। यह मामला सुबह 9:30 बजे का है। 9:45 बजे लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी समेत विश्व हिंदू परिषद के सभी नेता साधु-संत राम कथा कुंज पर पहुंचे। सुबह 10 बजे जिस विवादित चबूतरे पर प्रतीकात्मक कार सेवा यज्ञ और हवन के रूप में होनी थी, वहां पर आडवाणी, जोशी को देखकर कारसेवक भड़क गए। नारेबाजी होने लगी। कारसेवकों ने पहली बार बाड़ को तोड़ दिया।
रामकथा कुंज में करीब एक लाख कारसेवकों के मौजूद होने की खबर दिल्ली तक पहुंची। नेताओं के भाषण चल रहे थे। मंच पर भाजपा विश्व हिंदू परिषद आरएसएस के में शीर्ष नेता मौजूद थे। चारों तरफ उत्तेजना का माहौल था। लेकिन, सबकुछ काबू में था। करीब 12:00 गृह मंत्रालय को आईबी के जरिए सूचना मिली कि 200 कारसेवक विवादित इमारत में जबरन घुस गए हैं। राज्य पुलिस और पीएसी उन्हें रोक नहीं पाई। स्थानीय अफसर दखल नहीं दे रहे हैं। कारसेवकों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी है। तत्काल यह सूचना पीएम और गृह मंत्री को दी गई मानस भवन में के एक कमरे में आईबी ने तीन कैमरे लगा रखे थे। वीडियो रिकॉर्डिंग की जा रही थी। इसी वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर बाद में सीबीआई जांच शुरू हुई। केंद्रीय गृह सचिव ने दोपहर 12:10 बजे उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को फोन किया। बात नहीं हो पाई। डीजीपी से कहा गया कि वे तुरंत फैजाबाद में केंद्रीय बलों का इस्तेमाल करें।
दोपहर 12:25 में गृहमंत्री एसबी चह्वाण ने सीएम कल्याण सिंह से बात की। ढांचे पर हमले पर चिंता जता कर उन्होंने तत्काल विवादित परिसर को खाली कराने को कहा। गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री से कहा, आप केंद्रीय बलों का इस्तेमाल करें। कल्याण सिंह ने इस पर कहा, हमें अलग जानकारी मिल रही है। मैं मामले की जांच कर आपको बताता हूं। हालांकि, कल्याण सिंह ने इसके बाद गृह मंत्री को फोन नहीं किया। दोपहर 12:30 बजे कल्याण सिंह ने अयोध्या कंट्रोल रूम में संपर्क किया। कमिश्नर से बात की। चल रही कारवाई चल रही कार्रवाई पर गुस्सा जताया। साथ ही, यह भी कहा कि बिना गोली चलाए स्थिति को संभालें। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के अवसर पर तेजशंकर ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को जानकारी दी कि ढांचे पर कुछ खास सेवक चल रहे हैं। हालांकि, कोई अस्थाई निर्माण नहीं हो रहा है। दरअसल तेजशंकर विवादित स्थल में किसी स्थाई निर्माण पर नजर रखने आए थे, लेकिन यहां तो बाबरी मस्जिद को थोड़ा जा रहा था। दोपहर 12:40 बजे आईटीबीपी के महानिदेशक ने गृह मंत्रालय को सूचित किया कि ढांचे को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, लेकिन यूपी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। रैपिड एक्शन फोर्स की दो बटालियन कार्रवाई के लिए तैयार है। दोनों बटालियन फैजाबाद के डोगरा रेजीमेंट सेंटर में राज्य सरकार के मजिस्ट्रेट का इंतजार कर रही है।
दोपहर 1:00 बजे केंद्रीय गृह मंत्री ने यूपी के राज्यपाल वी सत्यनारायण रेड्डी से बात की। उन्हें बाबरी मस्जिद पर हमले की सूचना दी। ढांचे को बचाने के लिए दखल देने को कहा। दोपहर 1:15 बजे फैजाबाद डीएम ने सीआरपीएफ के डीआईजी से 50 कंपनी केंद्रीय बलों की मांग की। आइटीबीपी महानिदेशक ने जिला प्रशासन से इन केंद्रीय बलों के लिए मजिस्ट्रेट मांगे। कानून व्यवस्था के तहत मजिस्ट्रेट के बिना सुरक्षा बल आगे नहीं बढ़ सकते थे। दोपहर 1:30 बजे अयोध्या कंट्रोल रूम को मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का लिखित आदेश मिला कि गोली नहीं चलेगी। उन्हें बिना गोली चलाए विवादित परिसर खाली कराने को कहा गया। केंद्रीय बलों को लाने के लिए एक मजिस्ट्रेट और एक सर्कल ऑफिसर फैजाबाद के डोगरा रेजीमेंट सेंटर पहुंचे। आईटीबीपी के महानिदेशक ने फिर गृह मंत्रालय से संपर्क साधा। कहा कि ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है। यूपी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। केंद्रीय बलों की तीन बटालियन मजिस्ट्रेट के साथ अयोध्या के लिए रवाना हो गई।
दोपहर 2:00 बजे गृहमंत्री चौहान ने फिर सीएम कल्याण सिंह से बात की। उनसे पूछा, ढांचे की हिफाजत के लिए अब तक क्या किया है? कल्याण सिंह ने कहा कि वह पूरी तरह ढांचे को बचाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन गोली चलाने से मना किया है। आइटीबीपी के डीजी ने दोपहर 2:20 बजे गृह मंत्रालय को जानकारी दी कि फैजाबाद कैंट से चली अर्धसैनिक बलों की तीन बटालियन को विरोध और बाधाओं का सामना करना पड़ा है। रास्ते में लोगों ने बाधाएं खड़ी कर सड़क रोक रखी है। पथराव की घटना हुई है। मजिस्ट्रेट ने तब उन्हें लिखित दिया कि वे वापस लौट जाएं। तीनों बटालिया ने वापस लौट गई। स्थिति अभी जस की तस बनी हुई है। केंद्रीय गृह सचिव ने दोपहर 2:30 बजे यूपी के डीजीपी से कहा कि केंद्रीय बलों की तीनों बटालियन को स्थानीय अधिकारियों ने वापस कर दिया। आप उन्हें हिदायत दें कि वे सुरक्षा बलों का इस्तेमाल करें। दोपहर 2:40 बजे केंद्रीय गृह सचिव ने रक्षा सचिव से बात कर कुछ हेलीकॉप्टर तैयार रखने को कहा, ताकि जरूरी पड़ने पर केंद्रीय बल हवाई मार्ग से जा सकें। उन्हें 12 ट्रांसपोर्ट जहाज भी तैयार रखने को कहा गया।
दोपहर 2:50 बजे आईबी ने गृह मंत्रालय को सूचना दी कि ढांचे का पहला गुंबद गिर गया है। स्थिति तेजी से बिगड़ रही है। अयोध्या में सांप्रदायिक वारदात शुरू हो गई है। सांप्रदायिक दंगे भड़कने की आशंका है। केंद्रीय बल मौके पर जाने में असमर्थ हैं। यूपी के डीजीपी ने जानकारी दी कि बिना फायरिंग के और स्थिति को काबू में नहीं किया जा सकता है। इसके लिए मुख्यमंत्री के आदेश लिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अब तक कोई आदेश नहीं दिया है। रामकथा कुंज में मंच पर आडवाणी, जोशी और सिंगल फिर आए तीनों काफी चिंतित दिख रहे थे। उमा भारती खुशी से उछल रही थी। वह खुशी में डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी की पीठ पर चढ़ गई। दोपहर 3:00 बजे रेस कोर्स रोड पर प्रधानमंत्री निवास में पीएम नरसिंह राव के निजी डॉक्टर श्रीनाथ रेड्डी उनकी तबीयत देखने आए। रेडी ने कहा था कि पीएम का ब्लड प्रेशर काफी बढ़ा हुआ था। चेहरा लाल था काफी उत्तेजित थे। उनकी धड़कन और नाड़ी तेज थी। वह कुछ बोल नहीं पा रहे थे।
शाम 4:30 बजे केंद्रीय गृह सचिव ने सभी राज्यों के गृह सचिव डीजीपी से कहा कि सांप्रदायिक स्थिति पर नजर रखें। अगर स्थिति बिगड़ती है तो केंद्र की मदद लें सैन्य अधिकारियों से भी सीधे मदद लेने को कहा गया। गृह सचिव ने सेनाध्यक्ष और रक्षा सचिव से कहा कि स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए सेना तैयार रहे। शाम 4:40 बजे विवादित इमारत का मुख्य गुंबद गिर गया रामकथा कुंज में तब सिर्फ कुछ साधु-संतों बचे थे आचार्य धर्मेंद्र और साध्वी रितंभरा कारसेवकों को ललकार रहे थे। कारसेवक भी लौटने लगे थे। पूरा परिसर खाली दिखने लगा था। अयोध्या में रहने वाले मुसलमानों पर हमले शुरू हो गए। शाम 5:15 बजे डॉ मुरली मनोहर जोशी ने अपने हाथ से एक अपील लिखी। इसमें कारसेवकों को विवादित स्थल ध्वस्त करने के लिए बधाई दी गई। कारसेवकों से अनुरोध किया गया कि वह स्थानीय लोगों को कोई नुकसान न पहुंचाएं। घरों- दुकानों पर हमला न करें। उनसे हमारी कोई दुश्मनी नहीं है। जोशी ने यह पत्र अयोध्या विधायक लल्लू सिंह के पास भेजा कि वह जीप में बैठकर इसे पढ़कर लोगों को सुनाएं। लेकिन, लल्लू सिंह लोगों के विरोध को देखते हुए गायब हो चुके थे। कारसेवक बस स्टेशन रेलवे स्टेशनों की ओर लौट रहे थे। सभी के हाथ में ध्वस्त इमारत की बैरिकेडिंग के पाइप मलबे के टुकड़े थे। कारसेवक विजय के स्मृति चिन्ह के रूप में इसे ले जा रहे थे। तब तक कल्याण सिंह का इस्तीफा हो चुका था। इसके बाद प्रदेश और देश की राजनीति जिस प्रकार से बदली। वह आज आप सबके सामने है।