हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा ये एक बड़ा सवाल था। एक ओर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह खुद ही मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोक रही थी। वही दूसरी ओर कई और नाम मुख्यमंत्री की रेस में बने हुए थे। सभी कांग्रेस आलाकमान की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे थे। आखिरकार कांग्रेस आलाकमान ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर मुहर लगा दी। जबकि जबकि उपमुख्यमंत्री की कमान हिमाचल में अबतक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने वाले मुकेश अग्निहोत्री को दी गई है। आज शपथ ग्रहण कार्यक्रम भी होना है। मुख्यमंत्री के लिए प्रतिभा सिंह की दावेदारी धरी की धरी रह गई।
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चुनाव में चला ‘वीरभद्र कार्ड’
हिमाचल प्रदेश में पिछले कई बार से जब भी कांग्रेस जीती मुख्यमंत्री के तौर पर दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह ने ही कमान संभाली। मतलब वीरभद्र सिंह का हिमाचल प्रदेश पर एकछत्र राज था। वो 6 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उनकी निधन के बाद ऐसा पहली बार है जब कांग्रेस हिमाचल प्रदेश चुनाव में जीत हासिल करने में कामयाब रही। इसके पीछे वीरभद्र सिंह के प्रति सहनुभूति की लहर का बड़ा अहम रोल भी रहा। मतलब ये कहा जाए की हिमाचल प्रदेश के चुनाव में ‘वीरभद्र कार्ड’ से कांग्रेस को जीत मिली तो ये बात बिलकुल भी गलत नहीं होगी। कांग्रेस ने दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह पत्नी को प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंप रखा था।
जिनके नेतृत्व में कांग्रेस ने जीत हासिल की। इसलिए खुद प्रतिभा सिंह खुल के ‘वीरभद्र कार्ड’ को जीत की एक बड़ी वजह बताने में लगी हुई थी। साथ ही मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी भी ठोक रही थी।
आलाकमान के सामने ‘वीरभद्र कार्ड’ फेल
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि प्रतिभा सिंह का ‘वीरभद्र कार्ड’ कांग्रेस आलाकमान के सामने भी चल जाएगा और उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं कांग्रेस आलाकमान के सामने ‘वीरभद्र कार्ड’ फेल हो गया। लेकिन ये बात गौर करने वाली है कि आखिर वो क्या वजह है जिस कारण प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। चूँकि प्रतिभा सिंह मंडी लोकसभा सीट से सांसद है। उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता तो मंडी सीट को छोड़ना पड़ता।
वहीं किसी एक विधायक को इस्तीफा देना पड़ता जहां से प्रतिभा सिंह को उपचुनाव लड़ना पड़ता। मतलब एक साथ मंडी लोकसभा सीट और एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव का जोखिम कांग्रेस को उठाना पड़ता। इस जोखिम से बचने के लिए ही कांग्रेस आलाकमान की तरफ से मुख्यमंत्री के लिए प्रतिभा सिंह का पत्ता काट दिया गया। वही प्रतिभा सिंह के बेटे और नवनिर्वाचित विधायक विक्रमादित्य सिंह का भी नाम मुख्यमंत्री की रेस में था। इनके नाम पर मुहर ना लगाने के पीछे परिवारवाद के आरोपों से बचना एक महत्पूर्ण कारण माना जा रहा है।