शराबबंदी बिहार में लागू हुए साढ़े छह साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। लेकिन इसके जायज या नाजायज होने पर बहस आज भी जारी है। जो भी विपक्ष में रहता है सरकार के इस नीति पर सवाल उठाता है। पहले राजद उठाता था, अब यह काम भाजपा ने आत्मसात कर लिया है। वैसे इस बीच एक नया फार्मूला आया है कि पहली बार शराब पीने वालों को माफी देकर रिहा करें। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि पीने वालों में 90 फीसदी दलित-आदिवासी और अतिपिछड़ा समाज के हैं। इसलिए उन्हें पहली बार पकड़े जाने पर राहत देनी चाहिए।
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सुशील मोदी ने रिहा करने की मांग की
भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने शराबबंदी पर गिरफ्तारियों के मुद्दे पर नीतीश सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के कारण जो पहली बार जेल गए, उन पर मुकदमे वापस लेकर सरकार को आम माफी का ऐलान करना चाहिए। ऐसे लोगों को सुधरने का एक मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा कि Bihar में शराबबंदी के कारण 4 लाख से ज्यादा लोग जेल जा चुके हैं। 3.5 लाख मामले दर्ज हैं और 40 हजार लोग अब भी बंदी हैं। इनमें 90 फीसद दलित, आदिवासी और अतिपिछड़ा समाज के गरीब हैं। ये लोग इतने गरीब हैं कि अपना मुकदमा भी नहीं लड़ सकते। इसलिए इन्हें रिहा कर देना चाहिए।
गांधी, JP, लोहिया का हवाला
सुशील मोदी ने गांधी, JP, लोहिया का हवाला देते हुए कहा है कि इन्होंने भी शराब पीने वालों को सुधरने का मौका देने की बात कही थी। यही नहीं सुशील मोदी ने यह भी कहा कि शराब की आसानी से उपलब्धता के कारण ये लोग जेल गए हैं। जबकि इन्होंने कोई गंभीर अपराध नहीं किया है। इसलिए इन्हें रिहा कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग पकड़े गए कि जेलों में जगह नहीं है, फिर भी हर महीने 45 हजार गिरफ्तारियां हो रही हैं। अदालतों पर शराब से जुड़े मामलों का बोझ बढ़ गया है। केवल जमानत के मामले निपटाये जा रहे हैं।