क्राइम के बदलते स्वरूप के साथ ही पुलिस भी मॉडर्न क्राइम पैटर्न को लेकर खुद को तैयार कर रही हैं। झारखंड पुलिस अपराध के डिजिटल एविडेंस के साथ साथ साइबर अपराध पर नकेल कसने को लेकर अपने 41 डिजिटल जाबाजो की टीम तैयार कर रही है। जिनसे न सिर्फ अपराधी बल्कि साइबर अपराधी भी पनाह मांगते नजर आएंगे।
साइबर अपराध होने से पहले ही मिलेगी जानकारी
साइबर अपराध के साथ साथ साइबर अपराध होने से पहले ही उसकी जानकारी पुलिस को मिल सके इसे लेकर झारखंड पुलिस ने 41 पुलिस कर्मियों का चयन कर उन्हे एडवांस ट्रेनिंग दे रही है। ताकि आनेवाले दिनो में ये 41 डिजिटल योद्धा अपनी सेवा से न सिर्फ अपराधियों, बल्कि साइबर अपराधियों के लिए भी काल बनेंगे। राज्य भर के वैसे पुलिसकर्मी जिनका बैकग्राउंड कंप्यूटर साइंस से रहा है। उनलोगों का चयन उसमे किया गया है। बता दें की इसे लेकर 300 पुलिसकर्मियों का आवेदन आया था। जिसमे से 41 पुलिसकर्मियों का चयन किया गया और फिर उन्हें एडवांस ट्रेनिंग दी जा रही है।
अनहोनी से बचाने को लेकर ऑफिसर्स करेंगे कार्य
ट्रेनिंग में पैथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, मशीन लर्निंग और ओपन सोर्स इंटीलीजेंस। 3 महीनो की ट्रेनिंग में साइबर अनुसंधान, साइबर अटैक और कोई अपराधी जो सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर एक्टिव है, तो वहीं इसके साथ ही कोई मैसेज लोगों को भड़काने या किसी वारदात को अंजाम से पहले सोशल मीडिया पर फ्लोट होती है, तो उसकी जानकारी मिल सके और संबंधित व्यक्ति की तुरंत पहचान हो सके और समय रहते कार्रवाई की जाए, ताकि अनहोनी से बचा जा सके इसे लेकर ये तमाम ऑफिसर्स कार्य करेंगे।
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इन्वेस्टिगेशन में डिजिटली साउंड होना जरूरी
पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग देने पहुंचे साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि वर्तमान में जो ट्रेनिंग झारखंड के इन 41 पुलिसकर्मियों को दी जा रही है। वो अपने आप में नायाब है। देश भर में आईबी के ऑफिसर्स को ही इस तरह की ट्रेनिंग दी गई है और किसी भी राज्य की पुलिस विभाग में ये अपने तरह की पहली ट्रेनिंग है। वहीं उन्होंने बताया की वर्तमान में साइबर वार की घटना बढ़ी है और अपराधी भी साइबर हथकंडे का इस्तेमाल करते हैं और अपराध के दौरान काफी डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ते है। जिस कारण इन्वेस्टिगेशन में पुलिस के लिए डिजिटली साउंड होना जरूरी है। वही उन्होंने बताया की इस तरह की ट्रेनिंग विदेशी में ही होती है और उसके लिए काफी पैसे भी खर्च करने पड़ते है।