बिहार में अधिकारी और उत्तराधिकारी वाला खेल चरम पर है। सीएम की कुर्सी के अधिकारी अभी तो नीतीश कुमार हैं। लेकिन उन्होंने अभी से अपने उत्तराधिकारी के रूप में तेजस्वी यादव को आगे बढ़ा दिया है। अब तेजस्वी की ताजपोशी अगले युद्ध यानि चुनाव के बाद होगी या चलती सत्ता में कुर्सी से उतर पर नीतीश कुमार अपनी गद्दी तेजस्वी को सौंप देंगे, ये तो वही दोनों जानें। लेकिन इस बीच दोनों ऐसे हाव-भाव जरुर दिखा रहे हैं, जिससे यह लगने लगा है कि बिहार की सत्ता के तथाकथित उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव ही असली अधिकारी यानि सीएम बनने वाले हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को धीरे धीरे के बिहार के सत्ता का पावर ट्रांसफर शुरू कर दिया है।
नए ‘पंख’ लगाने को बेकरार Nitish-Tejashwi की नई सरकार
बैठकों से किनारा करने लगे सीएम नीतीश
नीतीश कुमार पिछले कई महीनों से उन बैठकों से किनारा कर रहे हैं, जिसमें सीएम को ही आमंत्रित करना होता है। पिछली बैठक में तो उन्होंने सीधे तेजस्वी यादव को ही भेज दिया। वह बैठक कोलकाता में हुई थी। इस्टर्न जोन सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ले की। इस बैठक में जोन के सभी मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया था। तब झारखंड से सीएम हेमंत सोरेन, ओडिशा से सीएम नवीन पटनायक और सिक्किम से सीएम प्रेम सिंह तामांग शामिल हुए। लेकिन बिहार से सीएम नीतीश कुमार ने अपनी जगह तेजस्वी यादव को भेज दिया। अब आने वाले दिनों में PM नरेंद्र मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में भी बिहार से तेजस्वी यादव ही हिस्सा लेंगे। ऐसे में यह चर्चा उठने लगी है कि सीएम की बैठकों में डिप्टी सीएम जाएंगे तो सीएम क्या करेंगे?
राजद तो बस तेजस्वी के इंतजार में है
सीएम पद पर नीतीश कुमार की विदाई हो जाए, राजद नेता तो बस इसी के इंतजार में हैं। शिवानंद तिवारी हों या जगदानंद सिंह, दोनों ने साफ और सार्वजनिक तौर पर कहा है कि नीतीश कुमार को अब बिहार की कमान तेजस्वी यादव को दे देनी चाहिए। भले ही जदयू के नेताओं की आंखों के सामने ऐसे ख्याल से अंधेरा छा जाता हो, लेकिन राजद के नेताओं का तो प्रयास यही है कि तेजस्वी जल्दी सीएम बनें। यह प्रयास, तब हकीकत लगने लगता है जब सीएम नीतीश खुद कहने लगे कि वे अब सीएम नहीं रहना चाहते। अब तो बिहार की कमान तेजस्वी यादव ही संभालेंगे।
बिहार में कई तरह की चर्चाएं
2020 का चुनाव याद करें तो राजद ने नारा दिया कि बिहार में तय तेजस्वी। तब तो बिहार में तेजस्वी तय नहीं हो पाए। लेकिन अब लगने लगा है कि नीतीश कुमार की मौजूदगी में ही राजद का पुराना नारा सफल हो जाएगा। हालांकि नीतीश कुमार को जानने वाले ये भी बता रहे हैं कि सबकुछ इतना आसान नहीं है। क्योंकि राजनीति में जो दिखे वही सच हो, यह जरुरी नहीं। नीतीश अभी जितना सॉफ्ट दिख रहे हैं, पावर ट्रांसफर तय होने पर उतना ही सॉफ्ट रखें, यह जरुरी नहीं। तो कई लोगों को नीतीश कुमार की यह सॉफ्टनेस 2024 के चुनाव तक के लिए दिख रही है। क्योंकि 2024 में नीतीश को दिल्ली की कुर्सी नसीब नहीं हुई, तो आगे कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। हालांकि अभी सबकुछ कयासबाजी से ज्यादा कुछ नहीं है क्योंकि पावर ट्रांसफर पर ऑफिशियली कोई कदम अभी नहीं उठाया गया है।