बिहार में सर्दी के सितम के बीच राजनीतिक गर्मी उफान पर बढ़ते जा रही है। राजद और जदयू के बीच की तनातनी अब चरम की ओर पहुंच रही है। राजद की ओर से सुधाकर सिंह उन बातों का जिक्र कर रहे हैं, जिन पर मिट्टी डालकर दोनों गठबंधन में साथ आए हैं। लेकिन सुधाकर कह रहे हैं वे तो वही कह रहे हैं जो पार्टी की लाइन पहले से रही है।
टोकने को आगे बढ़े उपेंद्र कुशवाहा को तो सुधाकर ने ऐसा आइना दिखाया है जिससे वे भी बगले झांकते नजर आएंगे। क्योंकि जिस गठबंधन को बचाने के लिए नीतीश कुमार की तरफदारी पर उपेंद्र आमादा हैं, उसे उपेंद्र के पुराने वर्जन से एक्सपोज करने में सुधाकर जुट गए हैं। सुधाकर का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा के हम तो पुराने प्रशंसक हैं। इसके साथ ही सुधाकर ने तारीख के साथ उपेंद्र के बयान गिनवाए हैं, जो उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ दिए।
जदयू-राजद में शुरू हुई रार, नीतीश पर एक शब्द ने कराया सारा बवाल
उपेंद्र को सुधाकर ने याद दिलाई ये बातें
- 9 दिसम्बर 2011 को नीतीश कुमार को तानाशाह और अलोकतांत्रिक बताते हुए जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा दे दिया था। उस समय मुझे भी आपके इस वक्तव्य पर आश्चर्य हुआ था मगर आज आपकी दूरदर्शिता पर गर्व महसूस होता है। 2018-2019 में आपने नीतीश कुमार के कार्यकाल को बिहार का सबसे खराब दौर कहा था जिस दौरान बिहार की शिक्षा व्यवस्था पुरी तरह से चरमरा चुकी है। उस दौरान आपकी नजर में नीतीश कुमार सरकार चलाने के लायक नहीं थे। इन सटीक विश्लेषणों के लिए मेरा साधुवाद स्वीकार कीजिए।
- मैने अपने राजनैतिक जीवन काल का सबसे खौफनाक मंजर रविवार 15 मार्च 2009 को देखा था जब आपके सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारी संख्या में पुलिस बल भेजकर आपकी गैर मौजूदगी में आपकी वृद्ध माता जी, धर्मपत्नी समेत घर के तमाम सदस्यों को राजनीतिक सुचिता अथवा मर्यादा का खयाल किए बगैर जबरन बाहर निकालकर सरकारी आवास खाली करवाया था। हम लोग आज भी आपके साथ हुए दुर्व्यवहार को याद करके शर्मिंदगी महसूस करते हैं।
- आपने बिहार के हितों के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं। कृषि मण्डी कानून आपकी पार्टी रालोसपा के घोषणा पत्र का प्रमुख हिस्सा था जिसकी लड़ाई आज भी मैं लड़ रहा हूं। यहां तक कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार के बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर आपने आमरण अनशन भी किया था जिसे हमारे नेता श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने ही आपको जूस पिलाकर खत्म करवाया था।
- चार वर्ष पहले आपके द्वारा आयोजित की गई नीतीश हटाओ भविष्य बचाओ पदयात्रा आज भी हमारे जैसे साधारण कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणाश्रोत है और हमें पुरी उम्मीद है कि नीतीश कुमार को हटाने के लिए जो नींव आपने चार वर्ष पहले रखी थी वह जल्द पूरी होगी।
अब उपेंद्र के जवाब का इंतजार
उपेंद्र कुशवाहा इसलिए नाराज हैं क्योंकि सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार को शिखंडी कहा। इस मामले में सुधाकर कह रहे हैं कि नीतीश कुमार को शिखंडी कहे जाने की संज्ञा राजद के द्वारा आधिकारिक तौर पर कई वर्षों पहले ही नीतीश कुमार को दी जा चुकी है। उसे सहर्ष स्वीकारने के बाद ही नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल से अपनी सरकार बचाने के लिए सहयोग की गुजारिश करने आए थे। सुधाकर ने जिन पुराने बयानों की परतें उधेड़ी हैं, वो गठबंधन के लिए खतरनाक हो सकता है, ऐसा उपेंद्र कुशवाहा कह चुके हैं।
सुधाकर के बयान के बाद उन्होंने तेजस्वी यादव को पत्र लिखा था। इसमें साफ कहा था कि सुधाकर सिंह उस शख्सियत को “शिखंडी” कह रहें हैं जिन्होंने बिहार को उस खौफनाक मंजर से मुक्ति दिलाने की “मर्दानगी” दिखाई थी। एक तरह से उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव को जंगलराज की याद दिलाई है। यही नहीं उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा है कि ऐसे बयानों पर जितनी जल्दी रोक लगे उतना श्रेयस्कर होगा। गठबंधन के लिए और शायद आपके लिए भी।