भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष JP Nadda के भविष्य पर फैसला इसी माह हो जाएगा। 20 जनवरी 2020 को भाजपा के फुल टाइम अध्यक्ष बने जेपी नड्डा का कार्यकाल 20 जनवरी 2023 को समाप्त हो रहा है। अब बड़ा सवाल ये है कि JP Nadda के भाजपा की डोर कौन संभालेगा। जवाब भी लगभग तैयार ही है। भाजपा के पास दो विकल्प हैं। पहला विकल्प ये है कि नड्डा के कार्यकाल को ही विस्तार दिया जाए। दूसरा कि नए अध्यक्ष की नियुक्ति हो। दोनों ही विकल्पों के अपने फायदे हैं।
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नड्डा ही क्यों?
भाजपा के अध्यक्ष पद पर जब जेपी नड्डा की नियुक्ति हुई थी तो उनका बहुत चर्चा में नहीं था। चर्चा थी कि भूपेंद्र यादव अमित शाह के बाद भाजपा की बागडोर संभाल सकते हैं। लेकिन भाजपा नेतृत्व ने नड्डा को आगे किया। नड्डा ने इसका भरपूर प्रयोग किया और काफी हद तक सफल भी रहे। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीब भी हैं तो 2024 के चुनाव के लिहाज से नड्डा बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
नड्डा क्यों नहीं?
अध्यक्ष पद के तौर भाजपा में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति लगातार दो टर्म अध्यक्ष पद पर रह सकता है। लेकिन नड्डा के खिलाफ सबसे बड़ी बात जो जा सकती है, वो है हिमाचल प्रदेश में पार्टी की हार। हिमाचल जेपी नड्डा का गृह प्रदेश है। वहां राज और रिवाज के टकराव में रिवाज भारी पड़ा। अगर नड्डा की कुर्सी जाती है तो इसमें हिमाचल की हार बड़ा कारण बनेगी।
अन्य इन नामों पर विचार संभव
भूपेंद्र यादव : राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का नाम एक बार फिर अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में है। साल 2019 में भी मौजूदा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बाद अध्यक्ष पद का बड़ा दावेदार माना जा रहा था, लेकिन पार्टी ने नड्डा को जिम्मेदारी दी। भूपेंद्र यादव के साथ एक बात ये है कि वे राजस्थान से आते हैं और इस साल वहां चुनाव होने वाला है।
धर्मेंद्र प्रधान : शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी अगले भाजपा अध्यक्ष बनने की रेस में हैं। धर्मेंद्र प्रधान पार्टी में खास स्थान रखते हैं। संगठन और सरकार दोनों में उनका महत्व बरकरार है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लेकर सरकार जब संघर्ष कर रही थी, तब तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को हटाकर प्रधान को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ऐसे में उनके नाम की चर्चा भी संभावित है।