ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी की राजनीति ने पिछले कुछ सालों में कई दलों को परेशान किया है। AIMIM और ओवैसी मूलरूप से हैदराबाद बेस्ड हैं। पहले आंध्रप्रदेश और बाद में तेलंगाना की क्षेत्रीय पार्टी की ही पहचान रही है। लेकिन ओवैसी ने अपनी हदें बढ़ाकर दूसरे दलों को मुश्किल में कई बार डाला है। 2020 में हुए बिहार चुनाव में अगर राजद सत्ता से चूक गई तो इसके पीछे की बड़ी वजह AIMIM थी। लेकिन इस बार परिस्थिति उलट गई है।
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AIMIM चीफ पर सीधा आरोप
दरअसल, तेलंगाना में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई है। वहां इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले ही कांग्रेस ने ओवैसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। AIMIM के प्रमुख पर आरोप है कि हैदराबाद की दो विधानसभा क्षेत्रों में अलग-अलग जगहों पर मतदाता के रूप में वे पंजीकृत हैं। कांग्रेस ने इस मामले को उठाया है और सीधे शिकायत चुनाव आयोग से की है। कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में चुनाव आयोग कार्रवाई करे क्योंकि यह कानूनन अवैध है।
ओवैसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग
तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जी निरंजन ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। इसमें जी निरंजन ने दावा किया है कि हैदराबाद के सांसद ओवैसी राजेंद्र नगर और खैरताबाद दोनों विधानसभा क्षेत्रों में एक मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। निरंजन का कहना है कि उन्होंने दोनों निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची को चुनाव आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड की है। यह एक निर्वाचित सदस्य की गैरजिम्मेदारी और अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन में चुनाव मशीनरी की लापरवाही है।
गौरतलब है कि ओवैसी परिवार 1984 से ही हैदराबाद संसदीय सीट पर काबिज रहा है। 1984 से 2004 तक असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद के सांसद रहे। इसके बाद 2004 से लगातार असदुद्दीन ओवैसी खुद सांसद हैं।