बिहार के शिक्षामंत्री डॉ. चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान पर अब बिहार के शिक्षकों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम का कहना है कि शिक्षा मंत्री जातीय वैमनस्यता फैलाने एवं सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथों का अपमान कर रहे हैं। साथ ही तेजस्वी यादव से उन्हें हटाने की मांग भी की है। यही नहीं अमित विक्रम ने जिस दोहे पर चंद्रशेखर ने विवादित बयान दिया है, उसकी व्याख्या भी बताई है।
Bihar के शिक्षामंत्री का ज्ञान, रामचरितमानस फैलाता है नफरत
दोहे की सप्रसंग व्याख्या
अमित विक्रम का कहना है कि शिक्षामंत्री ने श्रीरामचरितमानस के जिस दोहे का उल्लेख किया है, उसकी उन्हें सप्रसंग व्याख्या सुनानी चाहिए। उस दोहे का प्रसंग कुछ ऐसा है कि श्री रामचरितमानस के उत्तरकांड में काग भुसुंडि और पक्षीराज गरुड़ के बीच में संवाद हो रहा है। उस संवाद में काग भुसुंडि कलिकाल यानी कलयुग के बारे में अपने अनुभव बताते हुए कहते हैं कि मैंने कलयुग के समय उज्जैन में जन्म लिया था। वहां पर एक ब्राह्मण के संग रहकर में शिव भक्ति किया करता था और श्री हरि यानी श्रीराम की मन ही मन बहुत निंदा करता था और उनके भक्तों से जलता था। इससे नाराज होकर के उन ब्राह्मण ने मुझे यह समझाया कि श्रीहरि यानी श्री राम की भक्ति तो स्वयं शिव और ब्रह्मा भी करते हैं तो फिर नीच मनुष्य होकर तुम उनकी आलोचना या निंदा क्यों करते हो।
रामहि भजहिं तात सिव धाता। नर पावँर कै केतिक बाता॥
जासु चरन अज सिव अनुरागी। तासु द्रोहँ सुख चहसि अभागी॥2॥
भावार्थ:-
हे तात! शिवजी और ब्रह्माजी भी श्री रामजी को भजते हैं (फिर) नीच मनुष्य की तो बात ही कितनी है? ब्रह्माजी और शिवजी जिनके चरणों के प्रेमी हैं, अरे अभागे! उनसे द्रोह करके तू सुख चाहता है?॥2॥
इसी में आगे वह बताते हैं कि
चौपाई :
हर कहुँ हरि सेवक गुर कहेऊ। सुनि खगनाथ हृदय मम दहेऊ॥
अधम जाति मैं बिद्या पाएँ। भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ॥3॥
भावार्थ:-
गुरुजी ने शिवजी को हरि का सेवक कहा। यह सुनकर हे पक्षीराज! मेरा हृदय जल उठा। नीच जाति का मैं विद्या पाकर ऐसा हो गया जैसे दूध पिलाने से साँप॥3॥
अर्थात चौपाई में ‘अधम जाति’ स्वयं कागभुसुंडी ने अपने आप के लिए प्रयोग किया है ना की किसी जाति या वर्ण के संबंध में। इसे अगर व्यापक प्रसंग में समझें तो जब कागभुसुंडि के गुरु जी ने शिव और ब्रह्मा को भी श्रीहरि का उपासक बता दिया तब उनके मन में श्रीहरि यानी श्रीराम के प्रति जो दुराभाव था उस कारणवश उन्होंने स्वयं को अधम जाति का बताया है। ना कि किसी जाति विशेष या वर्ण विशेष के संबंध में ऐसी कोई टिप्पणी श्रीरामचरितमानस में की गई है। उन्होंने सांप से भी तुलना स्वयं की की है ना की किसी जाति विशेष या वर्ण विशेष की।
मंत्री से माफी की मांग
शिक्षा मंत्री के वक्तव्य से नाराज शिक्षक संघ ने उन्हें इस घृणित कार्य के लिए उनके पद से बर्खास्त करने की मांग की है। संघ ने शिक्षामंत्री से अपने इस बयान के लिए लिखित माफी मांगने की भी मांग की है। साथ ही यह भी कहा है कि अगर मंत्री ऐसा नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध उचित अपराधिक धाराओं में हम मुकदमा दर्ज कराएंगे।
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